सखि हे कि पूछसि अनुभव मोय
सोइ पिरीति अनुराग बखानइते, तिले तिले नूतन होय।।
जनम अवधि हम रूप निहारल, नयन न तिरपित भेल।
सोइ मधुर बोल भुवनहि सुनल, श्रुति पथे परसन गेल।।
कत मधु यामिनी रमसे गमाओल, न बुझल कैसन केल।
लाख लाख युग हिये हिये राखल, तैओ हिय जुड़न न गेल।।
यत यत रसिक जन रसे अनुगमन, अनुभव काहु न पेख।
विद्यापति कह प्राण जुड़ाइत, लाखे न मिलल एक।।
. explaintion with reference
Answers
Answer:
sorry I don't know your friend is sandwich is no bro
Explanation:
thanks thanks
Answer:
कवि विद्यापति कहते हैं कि सावन का महीना चल रहा है नायिका राधा का अधिक प्रिय के वियोग में है चाहे दुख को सहन नहीं कर पा रहा है नायिका कहती है कि ऐसा कि मेरा पत्र मेरे प्रियतम के पास कौन ले जाएगा और कौन उन्हें मेरी वजह से उन्हें परिचित कराएगा प्रीतम के बिना सूनी महल में मुझसे अकेली नहीं रहा जा रहा है भेज सके यह बैंकट इतना एहसास हो गया है कि अब इस संसार पर विश्वास नहीं कर नहीं रह गया है प्रीतम अपने साथ मेरे मन कोबी हरण कर ले गए हैं मेरा मन हर समय प्रीतम के ध्यान में ही लगा रहता है पता नहीं प्रीतम ने गोकुल को छोड़कर मथुरा में बसने का यह आपसे क्यों लिया है कभी विद्यापति कहते हैं की सखी राधा को समझते हुए कहती है कि है नायिका तू मन में आशा रखते हुए धैर्य धारण आकर था तो मरने की मत सोच तेरा मनभावन प्रीतम इस कार्तिक मास में ही आ जाएगा