""" सखी हम काह करैं कित जायं |
बिनु देखे वह मोहिनी मूरति नैना नाहिं अघायँ |
बैठत उठत सयन सोवत निस चलत फिरत सब ठौर|
नैनन तें वह रूप रसीलो टरत न इक पल और |
सुमिरन वही ध्यान उनको हि मुख में उनको नाम |
दूजी और नाहिं गति मेरी बिनु मोहन घनश्याम |
सब ब्रज बरजौ परिजन खीझौ हमरे तो अति प्रान |
हरीचन्द हम मगन प्रेम-रस सूझत नाहिं न आन | ""कवि हरिश्चन्द्र द्वारा रचित इस कविता का प्रसंग व अर्थ
Answers
Answered by
0
Answer:
ye kya h Yaar kya tum mere dost bano ge
Similar questions