सख्त ऊपर से मगर दिल से बहुत नाजुक हैंचोट लगती है मुझे और वह तड़प उठते हैहर पिता में ही कोई माँ भी छुपी होती है bhawarth
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सख्त ऊपर से मगर दिल से बहुत नाजुक हैं,
चोट लगती है मुझे और वह तड़प उठते है,
हर पिता में ही कोई माँ भी छुपी होती है।
भावार्थ ⦂ इस त्रिवेणी के माध्यम से कवि त्रिपुरारी ने कहा है, किपिता ऊपर से तो बहुत कठोर दिखाई देते हैं, लेकिन भीतर से उनका हृदय बहुत कोमल होता है। जब भी संतान को चोट लगती है तो पिता तड़प उठते हैं यानि कठोर दिखने वाले पिता को भी संतान के दुख से कष्ट होता है। दुनिया का हर पिता भले ही कितना भी कठोर क्यों ना हो लेकिन उसके भीतर कहीं ना कहीं एक माँ छुपी होती है अर्थात वह उसका दिल भी माँ के समान कोमल होता है।
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