sakhi summary in hindi
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व्याख्या - कबीरदास जी प्रस्तुत दोहे में कहते हैं कि मनुष्य सांसारिक भाव भाधाओं में उलझा रहता है . उसे सुख की तलाश हमेशा रहती है . वह दिन -रात सुख की तालाश करता रहता है . लेकिन फिर में उसे सच्चे सुख की प्राप्ति नहीं होती है , वह सपने में भी सुख - शान्ति की तलाश करता रहता है .
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