सल्तनत काल में जमीन को कितने वर्गों में विभाजित किया गया था? उसके नाम लिखिए।
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दिल्ली सल्तनत काल में कर व्यवस्था शरीयत के आधार पर निर्धारित थी। शरीयत के अनुसार 4 प्रकार के करों का उल्लेख मिलता है। जिनका विवरण निम्नलिखित है-
खराज- यह भूराजस्व कर था जो हिन्दू किसानों से वसूला जाता था। इसकी दर 1/4 से 1/3 तक थी।( 25% से 33% तक ) Note : अलाउद्दीन खिलजी और मुहम्मद बिन तुगलक ने खराज को बढाकर 1/2 (50% ) तक कर दिया । (सर्वाधिक) उस्र- यह भी खराज की तरह ही भूराजस्व कर है जो मुस्लिम किसानों से लिया जाता था। इसकी दर खराज की तुलना में कम होती थी।
खुम्स/खम्स- युद्ध से प्राप्त लूट तथा भूमि में गङा खजाना तथा खानों से प्राप्त आय का बंटवारा सुल्तान के लिये 1/5 (20%) तथा संबंधित व्यक्ति के लिये 4/5 (80% ) था। Note : अलाउद्दीन खिलजी और मुहम्मद बिन तुगलक ने इस खुम्स के अनुपात को उल्टा कर दिया था। सुल्तान का भाग 4/5( 80 %) तथा संबंधित व्यक्ति का 1/5 ( 20% ) भाग था।
जजिया- यह एक गैर धार्मिक कर था। जो गैर मुस्लिम जनता से सल्तनत द्वारा सुरक्षा के नाम पर वसूला जाता था। जजिया देने वाली जनता जिम्मी कहलाती थी। शरीयत में जजिया कर से मुक्ति – महिलाओं, बच्चों , बेरोजगारों, विकलांगों, भीक्षुओं के लिए थी (ब्राह्मणों के लिये जजिया कर था।) Note : फिरोज तुगलक ने पहली बार ब्राह्मणों पर जजिया कर लगाया था,जो सभी करों से मुक्त थे।
जकात(सदका)- यह एक धार्मिक कर था, जो मुस्लिम अमीरों की आय व संपत्ति पर 2.5% के रूप में लगता था। इस कर से प्राप्त आय का खर्चा इस्लाम धर्म के विकास के लिये किया जाता था।