History, asked by guridixit, 8 months ago

सल्तनत (सुल्तनत) के सामने चुनौतियाँ बताइए।​

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Answered by aprajitakumari85799
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दिल्ली सल्तनत के दौरान व्यापार में काफी वृद्धि हुई थी. इस समय मुद्रा प्रणाली लागू थी. मुद्रा के रूप में चांदी का टंका प्रचालन में था. सड़कें भी अच्छी स्थिति में थीं जोकि बंगाल के सोनारगाव को दिल्ली, लाहौर, से जोड़ती थीं. संचार प्रणाली भी प्रमुख रूप में मौजूद थी. अर्थात पोस्ट को ले जाने और ले आने के लिए घुड़सवार मौजूद थे.

दिल्ली, लाहौर, मुल्तान, और लखनौती व्यापर के प्रमुख केंद्र थे. इन जगहों पर नए-नए उद्योग मौजूद थे. जैसे- धातु का काम, कागज बनाने, और वस्त्र के रूप में नए उद्योगों का केंद्र. वस्त्र व्यापार चीन और पश्चिम एशिया, के साथ किया जाता था जहाँ पर घोड़े और हाथी दांत, एवं मसालों को वस्त्रों के स्थान पर दिया जाता था. व्यापार वस्तुतः अरब, व्यापारियों के द्वारा पूरी तरह से हस्तगित किया गया था लेकिन तमिलो, कलिंगों और गुजरातियों की भी व्यापार में सहभागिता थी.

सल्तनत में अधिकांश लोगों की जीविका का प्रमुख माध्यम मजदूरी थी. कुछ जमींदार समृद्ध थे जिनमें हिंदु के साथ-साथ मुसलमान जमींदार भी शामिल था. सुल्तान और उनके अमीर एक भव्य महल में जीवन-यापन करते थे. कारीगर और दुकानदार मध्यम वर्ग में शामिल थे. इस काल में गुलामी प्रथा भी उपस्थित थी.

राज्य की आय का मुख्य स्रोत खराज़ था जोकि भू-राजस्व के रूप में लिया जाता था. गैर-मुसलमानों से भी इस काल में कर वसूला जाता था जिसे जजिया कहते थे. अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली सल्तनत के इतिहास में पहली बार कर की राशि में पूर्व के 1/6 से बढाकर 1/2 कर दिया था. जबकि पूरे सल्तनत काल में किसानों से उनकी पैदावार का 1/3 भाग लिया जाता था. ज़ज़िया हर हिन्दू पर लगाया जाने वाला कर था. इसी तरह ज़कात नामक एक कर भी लिया जाता था. यह कर वस्तुतः गरीब मुसलमान भाइयों की मदद के लिए अमीर मुसलमानों से लिया जाता था. खुम्स लूट का धन होता था. इस धन का 1/5 राजकोष में तथा 4/5 भाग सैनिकों में बाँट दिया जाता था, लेकिन अलाउद्दीन ख़िलजी एवं मुहम्मद तुग़लक़ लूट के धन का 4/5 भाग राजकोष में जमा करवाते थे तथा शेष 1/5 भाग सैनिकों में वितरित कर दिया

दिल्ली सल्तनत के दौरान,इस काल का समाज संक्रमण के चरण में था. समाज का बिभाजन पूरी तरह से धर्म पर आधरित था. लोग हिन्दू और मुस्लिम समुदाय में बिभाजित थे. मुस्लिम वर्ग पुनः अमीर और सरदार वर्ग में बिभाजित था. अमीर लोग भी तीन वर्ग में बिभाजित थे: खान, अमीर , और मलिक. जमींदार भी प्रमुख रूप में दिल्ली सल्तनत में शामिल थे. वे मुख्य रूप से प्रशासनिक संवर्ग में शामिल थे.

Answered by sumitsadhana22
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I hope dear answer is correct so please marks brain list..

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