समाचार पत्रों में भ्रष्टाचार के प्रति आक्रोश क्या साबित करता है
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विज्ञान ने मानव जीवन को सुखद व सुगम बना दिया है। पहले लंबी दूरी की यात्रा करना मनुष्य के लिए अत्यंत कष्टदायी होता था। अब विज्ञान ने मनुष्य की हर प्रकार की यात्रा को सुखमय बना दिया है। सड़कों पर दौड़ती मोटरगाड़ियाँ एवं एयरपोर्ट पर लोगों की भीड़ इसका उदाहरण है। पहले मनुष्य के पास मनोरंजन के लिए विशेष साधन उपलब्ध नहीं थे। अब उसके पास मनोरंजन के हर प्रकार के साधन उपलब्ध हैं।
रेडियो, टेपरिकॉर्डर से आगे बढ़कर अब एलइडी, डीवीडी एवं डीटीएच, कंप्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल को ज़माना आ गया है। यही नहीं मनुष्य विज्ञान की सहायता से शारीरिक कमज़ोरियों एवं स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से छुटकारा (निजात) पाने में अब पहले से कहीं अधिक सक्षम हो गया है और यह सब संभव हुआ चिकित्सा क्षेत्र में आई वैज्ञानिक प्रगति से।
अब ऐसी असाध्य बीमारियों का इलाज भी संभव है, जिन्हें पहले लाइलाज समझा जाता था। अब टीबी सहित कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों को शुरुआती स्तर पर ही समाप्त करना संभव हो गया है। आज हर हाथ में मोबाइल का दिखना भी विज्ञान के वरदान का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। दुनिया की किसी भी चीज़ का दुरुपयोग बुरा होता है। विज्ञान के मामलों में भी ऐसा ही हैं। विज्ञान का यदि दुरुपयोग किया जाए, तो इसका परिणाम भी बुरा ही होगा।
इस दृष्टिकोण से देखा जाए तो विज्ञान का सहयोग मनुष्य के लिए एक अभिशाप के रूप में सामने आया है। विज्ञान की सहायता से मानव ने घातक हथियारों का आविष्कार किया तथा साथ ही मनुष्य ने अपने सुख-चैन के लिए अनेक प्रकार की मशीनों को भी आविष्कार किया, किंतु अफ़सोस की बात यह है कि मशीन के साथ-साथ वह भी मशीन होता जा रहा है, जिसके कारण उसकी जीवन-शैली भी अत्यंत व्यस्त हो गई है।