Hindi, asked by atharva150607, 10 months ago

समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और टेलीविजन पर आपने ऐसी अनेक घटनाएँ
देखी-सुनी होंगी जिनमें लोगों ने बिना किसी लालच के दूसरों की सहायता
की हो या ईमानदारी से काम किया हो। ऐसे समाचार तथा लेख एकत्रित करें और
कम से कम दो घटनाओं पर अपनी टिप्पणी लिखें।
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Answered by question00
73

Answer:

कुछ दिन पहले मैंने एक प्रतिष्ठित हिंदी समाचार पत्र में एक सच्ची घटना का कहानी रूपांतरण पढ़ा। उस कहानी का मुख्य पात्र सोहन था। एक बार सोहन बाज़ार जा रहा था कि उसे रास्ते में नोटों से भरा एक पर्स मिला। पर्स नोटों से भरा हुआ था इतने सारे रुपए देख कर उसकी आंखें चमक उठी। किंतु अचानक उसके अंतर्मन से ध्वनि निकली कि यह पर्स तुम्हारा नहीं है किसी और का है। उसने सोचा कि यह पर्स जिस किसी का है उसे कितनी मुश्किल हो रही होगी। अत: उसने उस पर पर्स को उसके स्वामी तक पहुंचाने की सोची। पर्स के अंदर सोहन को पर्स के स्वामी का पता मिला। सोहन ने उस पते पर पहुंचकर दरवाजे पर घंटी बजाई। नौकर ने दरवाजा खोला और सोहन से आने का कारण पूछा तो उसने पत्ते पर लिखे नाम वाले व्यक्ति से मिलने की इच्छा जाहिर की। सोहन ने पर्स के स्वामी से पर्स के बारे में जानकारी प्राप्त कर उन्हें वह नोटों से भरा पर्स वापस कर दिया। पर्स के स्वामी ने उपहार के रूप में सोहन को ₹500 देने चाहे पर सोहन ने में विनम्रता के साथ मना कर दिया । सोहन का इस प्रकार पैसे न लेना उसकी इमानदारी और दूसरों की मदद करने की आदत होती है।

Answered by prabhatmishra1102
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Answer:

दैनिक जागरण कॉलम-पाठकनामादूसरों की भलाई आज के समय में अपने लिए तो सभी जीते हैं, लेकिन दूसरों के लिए कुछ करना वह भी पूरे जोश व संघर्ष के साथ एक अलग व्यक्तित्व की पहचान कराता है। महात्मा गाँधी से प्रभावित डॉ. एन. लैंग दक्षिण अफ्रीका ही नहीं, पूरे विश्व की महिलाओं के लिए आदर्श हैं। रंगभेद से त्रस्त यूरोप में एक श्वेत महिला द्वारा अश्वेत के जीवन को सही राह दिखाना, अंधेरे में दीपक जलाने के समान है। अपने चमकते भविष्य को दरकिनार कर डॉ. एन. लैंग जिस तरह हर बच्चे के भविष्य के लिए संघर्ष कर रही हैं, वह लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। दु:खद यह है कि दक्षिण अफ्रीका की सरकार ही डी एन लैंग के काम में बाधा डाल रही है। दक्षिण अफ्रीका की सरकार एवं विश्व के सभी लोगों को लैंग की सहायता करनी चाहिए और अपने देश में भी ऐसे अनाथ बच्चों के सहायतार्थ योजना बनानी चाहिए, जिन्हें वास्तव में मदद की जरूरत है और वे इस मदद के बगैर आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।टिप्पणी-इस समाचार को पढ़कर हम यह कह सकते हैं कि हमें केवल अपने बारे में ही नहीं सोचना चाहिए बल्कि समाज मैं कमजोर वर्ग का भी सहारा बनना चाहिए। जैसे डॉ. एन. लैंग पीड़ित महिलाओं व अनाथ बच्चों हेतु सहायतार्थ कार्यो के लिए अग्रसर है। हमारा यह भी कर्तव्य बनता है कि जो लोग लोकहित कार्यो में रुचि लेते हैं उनकी सहायता भी की जाए ताकि वे अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें जिससे समाज लाभांवित हो।दैनिक जागरण (आम समाचार) स्वरोजगार भवनसमाज में लाचार व विकलांगों की सहायता हेतु मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने ‘स्वरोजगार भवनों’ के निर्माण पर विचार किया है जिसमें जरूरतमंद लोग अपनी शारीरिक योग्यता के अनुसार कार्य करके धन कमा सकेंगे।टिप्पणी-ऐसे कार्यो से ही समाज आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा। वर्ग भेद व ऊँच-नीच की भावना समाप्त होगी क्योंकि जब किसी स्थान पर लोग मिलकर कार्य करते हैं तो एकता की भावना को बल मिलता है और आत्मविश्वास बढ़ता है।

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