समाचार पत्र संसार की गतिविधियों का आईना है।
Essay in hindi 350 words
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भूमिका : मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है क्योंकि उसमें बुद्धि और ज्ञान है। जितना ज्ञान मनुष्य में रहता है वह उससे और अधिक ज्ञान प्राप्त करना चाहता है और इसके लिए तरह-तरह के साधनों का आविष्कार करता है। विज्ञान ने संसार को बहुत छोटा बना दिया है। आवागमन के साधनों की वजह से स्थानीय दूरियां खत्म हो गयी हैं।
रेडियों, दूरदर्शन और समाचार पत्रों ने संसार को एक परिवार के बंधन में बांध दिया है। इन साधनों की मदद से हम घर पर बैठकर दूर के देशों की खबर पढ़ लेते हैं और सुन भी लेते हैं। इन साधनों की मदद की वजह से हमें दूसरे देशों में जाना नहीं पड़ता है।
कहाँ पर क्या घटित हुआ है किस देश की गतिविधियाँ क्या है यह बात हमें घर बैठे समाचार पत्रों से ही प्राप्त हो जाती है। मनुष्य के जीवन में जितना महत्व रोटी और पानी का होता है उतना ही समाचार पत्रों का भी होता है। आज के समय में समाचार पत्र जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बन चुका है। समाचार पत्र की शक्ति असीम होती है।
प्रजातंत्र शासन में इसका बहुत अधिक महत्व होता है। देश की उन्नति और अवनति दोनों समाचार पत्रों पर निर्भर करती है। भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में भी समाचार पत्रों और उनके संपादकों का विशेष योगदान रहा है। सुबह-सुबह जब हम उठते हैं तो हमारा ध्यान सबसे पहले समाचार पत्रों पर जाता है।
जिस दिन भी हम समाचार नहीं पढ़ते हैं, हमारा वह दिन सूना-सूना प्रतीत होता है। आज के समय में संसार के किसी भी कोने का समाचार सारे संसार में कुछ ही पलों में बिजली की तरह फैल जाता है। मुद्रण कला के विकास के साथ समाचार पहुँचने के लिए समाचार-पत्रों का प्रादुर्भाव हुआ। आज के समय में रोज पूरे संसार में समाचार-पत्रों द्वारा समाचारों का विस्तृत वर्णन पहुंच रहा है। वर्तमान समय में संसार के किसी भी कोने में कोई भी घटना घटित हो जाए दूसरे दिन उसकी खबर हमारे पास आ जाती है।
भारत में समाचार पत्र का आरंभ : भारत में अंग्रेजों के आने से पहले समाचार पत्रों का प्रचलन नहीं था। अंग्रेजों ने ही भारत में समाचार पत्रों का विकास किया था। सन् 1780 में कोलकाता में भारत का सबसे पहला समाचार पत्र प्रकाशित किया गया जिसका नाम दी बंगाल गैजेट था और इसका संपादन जेम्स हिक्की ने किया था। यही वो पल था जिसके बाद से समाचार पत्रों का विकास हुआ था।
भारत में सबसे पहले समाचार दर्पण का प्रकाशन आरंभ हुआ था। समाचार दर्पण के बाद उदंत मार्तंड का प्रकाशन भी आरंभ हुआ था। उसके तुरंत बाद, 1850 में राजा शिवप्रसाद सितारेहिंद ने बनारस अखबार को प्रकाशित किया था। इसके बाद भारत में बहुत सी पत्रिकाओं का संपादन किया गया था।
जिस तरह से मुद्रण कला का विकास होने लगा उसी तरह से समाचार पत्रों की भी संख्या बढने लगी थी। आज देश के प्रत्येक भाग में समाचार पत्रों का प्रकाशन हो रहा है। कुछ ऐसे राष्ट्रिय स्तर के समाचार भी होते हैं जिनका प्रकाशन नियमित रूप से होता है।
दैनिक हिंदुस्तान, नवभारत टाईम्स, दैनिक ट्रिब्यून, पंजाब केसरी हिंदी भाषा में प्रकाशित कुछ प्रसिद्ध समाचार पत्र होते हैं। इसी तरह से अंग्रेजी में बहुत से ऐसे प्रसिद्ध समाचार पत्र हैं जो पूरे भारतवर्ष में पढ़े जाते हैं। आज के समय में समाचार पत्रों का उद्योग एक स्थानीय उद्योग बन चुका है क्योंकि इससे लाखों लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े होते हैं।
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