समूचा दिन अदृश्य भय और दहशत में बीता था जिस देव को हल्का बुखार हो गया था वह अपनी झोपड़ी में पढ़ा था सुखिया उसके पास बैठा था आज की घटना से मजदूर डर गए थे उन्हें लग रहा था कि सुबह सिंह किसी भी वक्त लौटकर आ सकता है शाम होते ही भट्टे पर सन्नाटा छा गया था सब अपने-अपने खोल में सिमट गए थे बूढा बिलासिया जो अक्सर बाहर पेड़ के नीचे दे रहा तक बैठा रहता था शाम होते ही अपनी झोपड़ी में जाकर लेट गया था।
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What we do in this question dear??????❣️❣️❣️❣️
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