"समूह का नाम संगत नहीं। जहाँ प्रेम नहीं है, वहाँ लोगों की आकृतियां चित्रवत हैं और उनकी बातचीत झांझर की झंकार है।" यह किसका कथन है? *
(क) अरस्तु
(ख) बेकन
(ग) तुलसीदास
(घ) प्रेमचंद
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I think तुलसीदास is the answer
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agar mere answer se help hui ho toh pls mark me as brainlist
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अगर मै और स्वगरदूतो कि जुबान से बोलता हूँ ज्ञान
लेकिन प्यार नहीं करता, तो मैं एक शोरगुल या गवार झांझ बन गया हूँ |
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