समूह दिन में लड़के और लड़कियों के बीच में होने वाले भेदभाव को समझाइए
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लड़का और लड़की सामाजिक और कानूनी रूप से एक जैसे ही हैं। एक बेहतर समाज बनाने के लिए लड़कों की उतनी ही जरूरत होती है, जितनी की लड़कियों की, लेकिन एक बेहतर समाज की गठन में बेहतर सोच रखने वाले इंसानों की काफी ज्यादा जरूरत रहती है। इस आधुनिक युग में लड़का और लड़की में कोई अंतर नहीं है। दोनों ही एक दूसरे को कांटे की टक्कर देने में सक्षम हैं। लड़कियां कई क्षेत्र में सफलता हासिल की हैं। लडकियां समाज की शान मानी जाती हैं, लेकिन आए दिन लड़कियों पर अत्याचार, घरेलू ¨हसा, दहेज की मांग हमें शर्मसार कर जाती है। हमें लड़कियों और लड़कों में कोई भेदभाव न कर सब को एक समान महसूस करना चाहिए
बेटी के जन्म होने पर लोहड़ी मनाना अच्छी पहल: प्रमोद कुमार
प्रमोद कुमार ने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या जैसी बुराई पर लगाम लगाने और बेटी बचाओ अभियान से अब समाज के विभिन्न तबके भी आगे आने लगे है। समाज में बिगड़ते स्त्री-पुरुष अनुपात और बेटी बचाने के संकल्प के साथ लड़कियों की लोहड़ी मनाना नई पहल है।
लड़कियों को मिलनी चाहिए आजादी : हेमंत कुमार
हेमंत कुमार रणदेव ने कहा कि लड़के-लड़की के बीच में भेदभाव को समाप्त करने के लिए लड़कियों की लोहड़ी मनाने का निर्णय लिया है। लड़की पैदा होने पर लोहड़ी का त्योहार मनाया जाना एक अच्छी सोच है। लड़कियों को अपने नजरिए पेश करने की आजादी मिलनी चाहिए। उन्हें परिवार के हर निर्णय का हिस्सा बनने देना चाहिए। उन्हें अपने आप को कभी किसी से कम महसूस नहीं करना चाहिए। समाज में लड़कियों को लड़कों के समान दर्जा मिले यही हमारा प्रयास है।
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