। समाज के लिए महिला सशक्तिकरण क्यों आवश्यक है?
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आज के समय में लगभग हर जगह चाहे वह गांव हो या शहर हर जगह महिला सशक्तिकरण पर चर्चा हो रही है, लेकिन इसके वास्तविक मायने कितने लोग समझ पाते हैं यह कहना मुश्किल है। हमारे भारतीय समाज में इसकी कितनी मान्यता मिल रही है, यह अनुसंधान करना बेहद कठिन है, हालांकि हमारे भारतीय समाज में महिलाओं की अवस्था में काफी सुधार हुआ है लेकिन जिस तरह स्वस्थ रूप से सुधार की कल्पना की जाती है, सुधार हो सकता था वैसा सुधार नही हुआ है, आने वाले समय में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए इस दिशा में अभी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। पहले की अपेक्षा महिलाओं की दशा पर सुधार तो हुआ है लेकिन अभी भी देश की आधी आबादी अपने अनेक अधिकारों से वंचित है।
आज भी हमारे सामने पीड़ित महिलाओं के उदाहरणों में कमी नही है। समाचार पत्र, समाचार चैनल, वेब चैनल, रेप, दहेज़ के लिए हत्या, भ्रूण हत्या की घटनाओं से भरे पड़े मिलते हैं, इन आंकड़ों में दिन व दिन बढ़ोतरी हो रही है। महिलाओं से होने वाली हिंसा और शोषण की घटनाएं खत्म होने का नाम नही ले रही। आज हर क्षेत्र में पुरुष के साथ ही महिलाएं भी तमाम चुनौतियों से लड़ रही हैं, सामना कर रही हैं, कई क्षेत्रों में तो महिलाएं पुरुषों से आगे हैं। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि समाज के कुछ पुरुष प्रधान मानसिकता वाले तत्व यह मानने के लिए तैयार नही हैं कि महिलाएं भी उनकी बराबरी करें, ऐसे लोग महिलाओं की खुले विचार वाली कार्य शैली को बर्दाशत नही कर पाते हैं। शायद इसलिए कभी तस्लीमा नसरीन जी चर्चित हुई तो कभी दीपा मेहता। आज भी हमारे समाज में महिला केंद्रित आलेख और सिनेमा आसानी से स्वीकार नही किए जाते हैं, कहीं न कहीं उनका विरोध शुरू हो जाता है। क्या महिलाओं को अधिकार नही है कि वे खुलकर अपने विचारों को समाज के सामने रखें।