Hindi, asked by duajjaja, 4 months ago


समाज के निर्माण में स्त्री और पुरुष दोनों का समान महत्व है। इस पर अपने विचार बताइए।।
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Answered by Anonymous
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बुद्ध कॉलेज ऑफ एजुकेशन में महिला विकास समिति की ओर से आयोजित कार्यक्रम में महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया गया। वक्ताओं ने समाज के विकास के लिए महिला सशक्तिकरण को जरूरी बताया। महिला दिवस सेलिब्रेशन की प्रथम कड़ी में मातृत्व जागेगा, समाज जागेगा विषय पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि दयाल सिंह कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. रामजी लाल रहे। उन्होंने कहा कि अच्छे समाज के निर्माण में महिला व पुरुष की समान भागीदारी होती है। प्राचीन काल में महिलाओं को पुरुषों के बराबर उच्च स्थान प्राप्त था। पुरुषों के बराबर सामाजिक, धार्मिक, शैक्षणिक व सांस्कृतिक अधिकार प्राप्त थे। रूकैया शेखावत, महात्मा गांधी, दयानंद सरस्वती, विवेकानंद, रवींद्रनाथ टैगोर, ईश्वर चंद्र विद्यासागर व राजा राममोहन राय जैसे समाज सुधारकों ने महिला सशक्तिकरण के लिए अथक प्रयास किए। इससे समाज में महिलाओं को आगे बढ़ने के अवसर भी मिले। संस्कृतकर्मी राजीव रंजन ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ सामाजिक पूर्वाग्रह है कि वह पुरुष की बराबरी नहीं कर सकती। वैचारिक क्रांति से ही महिला सशक्तिकरण के आंदोलन को मजबूती प्रदान की जा सकती है। एनडीआरआइ के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. सुरेंद्र सिंह ने कहा कि स्त्री व पुरुष समाज रूपी गाड़ी के दो पहिये है। समाज का विकास तभी हो सकता है, जब महिलाओं को भी आर्थिक, सामाजिक व वैचारिक रूप से समानता दी जाए। प्राचार्य मोहम्मद रिजवान ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण की सार्थक शुरूआत यूएनओ की ओर से 8 मार्च 1975 में की गई। इसके बाद 1985 में नैरोबी में अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन का आयोजन किया गया। प्रबंधन विभागाध्यक्ष डॉ. हिमांशु जैन ने कहा कि कानून के इतर महिलाओं के विकास व सुरक्षा के लिए प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक होना होगा। महिला विकास प्रकोष्ठ की अध्यक्ष प्रीति गुणबाल ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

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