-समाज के प्रति कर्तव्य
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हमारा ये परम कर्तव्य है कि समाज के प्रति अपने दायित्व को पूरी तरह से निभाएं। हमें जो कुछ समाज से मिला है वह समाज को लौटाएं। हम जो कुछ भी बनते हैं उसमें जितना योगदान हमारे परिश्रम का होता है उतना ही हमारे सामाजिक ढांचे का होता है। इसलिए समाज से हमें जो कुछ मिला है, उसे लौटाना हम सबका दायित्व है।
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संपूर्ण जीव-जगत में मनुष्य को ही सर्वश्रेष्ठ जीव माना जाता है,और मनुष्य ने अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन से यह सिद्ध भी कर दिया है कि इस धरा पर उसके जैसा ज्ञानी और समर्थ दूसरा कोई जीवधारी नहीं है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज से अलग रहकर मनुष्य का कोई अस्तित्व नहीं है। समाज के बिना हमारा जीवन अधूरा और नीरस हो जाएगा,इसलिए हमें एक-दूसरे के साथ मिलकर ही रहना चाहिए। एक बात और है जो अति महत्वपूर्ण है,इसलिए हम समाज में रहते हैं। वह बात है-मनुष्य अकेले अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर सकता है। अतः उसे समाज में रहना पड़ता है। यह बात भी सही है कि हमें जीने के लिए जितनी चीजों की आवश्यकता है,वे सारी चीजें हमारे पास उपलब्ध नहीं होती हैं। हमारे पास कुछ चीजों की कमी होती है तो कुछ चीजों की अधिकता भी होती है। जो चीज हमारे पास अधिक होती है,हम उसे किसी जरूरतमंद को दे देते हैं और अपनी जरूरत की वस्तु उससे लेकर अपना काम चलाते हैं। इस प्रकार हमारी आवश्यकता और वस्तुओं के आदान-प्रदान के माध्यम से एक समाज का निर्माण हो जाता है और हमारा जीवन सरस बन जाता है।
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