समाजीकरण की प्रक्रिया आजीवन चलती है। स्पष्ट कीजिए।
Answers
Explanation:
Insaan ek samaj mein palta, bada hota h.
Samaj badalta h, unnat hota h
Ye unnati chalti rehti h, kyunki koi cheez perfect nhi hota h
समाजीकरण की प्रक्रिया आजीवन चलती है अर्थात समाजीकरण की प्रक्रिया मनुष्य के पूरे जीवन भर में चलने वाली प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया मनुष्य के जन्म से शुरू होकर उसकी वृद्धावस्था के अंतिम समय तक चलती है। जब मनुष्य जन्म लेता है तो अपनी बाल्यावस्था में उसकी सीखने की प्रवृत्ति तीव्र होती है और वह नई-नई बातें बहुत जल्दी सीखता है।
कालांतर में मनुष्य अपने जीवन काल में अलग अलग परिस्थितियां धारण करता जाता है और उन परिस्थितियों के अनुसार अपनी भूमिकाओं का निष्पादन करना सीखता रहता है।उदाहरण के लिए अपनी बाल्यावस्था में मनुष्य अपने बड़ों का सम्मान करना सीखता है तो अपने से छोटों के प्रति स्नेह प्रकट करना सीखता है और सब के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए वह सीखता है। युवावस्था मैं आते-आते वह एक जिम्मेदार प्राणी बन जाता है। तब वह जिम्मेदारी से युक्त व्यवहार करना सीखता है।
वृद्धावस्था में आते-आते वो अपने सांसारिक कर्मों और दायित्वों से निवृत्त हो चुका होता है। ऐसी स्थिति में है उसके अंदर एक गरिमामय व्यक्तित्व का प्रादुर्भाव हो जाता है और वह उस गरिमामय व्यक्तित्व तथा बड़प्पन वाले भाव के अनुसार अपना व्यवहार बदल लेता है।
इस तरह हम कह सकते हैं कि समाजीकरण की प्रक्रिया मनुष्य के पूरे जीवन भर चलती रहती है। मनुष्य जीवन के अलगअलग चरणों में अलग-अलग परिस्थितियों के अनुसार व्यवहार और आचरण करना सीखता रहता है।