समाज में बढती हुई असुरक्षा के संबंध में अपने विचार प्रकट करते हुए अमर उजाला दैनिक पत्र के संपादक को पत्र लिखए
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सेवा में,
अमर उजाला, वाराणसी
विषय-- बढ़ती हुई असुरक्षा के संबंध में मेरे विचार।
महोदय,
मैं आपके दैनिक पत्र अमर उजाला के माध्यम से आज के समाज में व्याप्त असुरक्षा के संबंध में कुछ कहना चाहती हूं। आज हमारे समाज में असुरक्षा जैसी स्थिति इसलिए उत्पन्न हुई है क्योंकि हमारे समाज में कुछ कुरितियां जो हमारे बड़े बुजुर्ग बना कर गए थे।वह हम आजतक मानते आ रहे हैं।
आज भी हम बेटो पर कम और बेटियों पर रोकटोक करते हैं।
परिणाम यह है कि पुरुष समाज में यह अहं रहता है की वह ही सर्वेसर्वा है। हमारे समाज की लोगों की सोच हमें बदलना होगा । तभी यह असुरक्षा का भय कटेगा।
बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शिक्षा और निडर होकर रहने के लिए कैराटे सीखना बहुत ज़रूरी है।
रोशनी सिंह
स्थानीय वासी।
अमर उजाला, वाराणसी
विषय-- बढ़ती हुई असुरक्षा के संबंध में मेरे विचार।
महोदय,
मैं आपके दैनिक पत्र अमर उजाला के माध्यम से आज के समाज में व्याप्त असुरक्षा के संबंध में कुछ कहना चाहती हूं। आज हमारे समाज में असुरक्षा जैसी स्थिति इसलिए उत्पन्न हुई है क्योंकि हमारे समाज में कुछ कुरितियां जो हमारे बड़े बुजुर्ग बना कर गए थे।वह हम आजतक मानते आ रहे हैं।
आज भी हम बेटो पर कम और बेटियों पर रोकटोक करते हैं।
परिणाम यह है कि पुरुष समाज में यह अहं रहता है की वह ही सर्वेसर्वा है। हमारे समाज की लोगों की सोच हमें बदलना होगा । तभी यह असुरक्षा का भय कटेगा।
बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शिक्षा और निडर होकर रहने के लिए कैराटे सीखना बहुत ज़रूरी है।
रोशनी सिंह
स्थानीय वासी।
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मैं आपके दैनिक पत्र अमर उजाला के माध्यम से आज के समाज में व्याप्त असुरक्षा के संबंध में कुछ कहना चाहती हूं। आज हमारे समाज में असुरक्षा जैसी स्थिति इसलिए उत्पन्न हुई है क्योंकि हमारे समाज में कुछ कुरितियां जो हमारे बड़े बुजुर्ग बना कर गए थे। वह हम आजतक मानते आ रहे हैं। आज भी हम बेटो पर कम और बेटियों पर रोकटोक करते हैं।
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