Hindi, asked by AyushLokhande7460, 8 months ago

समाज में बढ़ते अपराध को रोकने के लिए नागरिकों को जागरूक करने का आग्रह करते हुए किसी दैनिक अखबार के संपादक को 80-100 शब्दों में पत्र लिखिए।

Answers

Answered by bhatiamona
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Answer:

सेवा में,

श्रीमान संपादक महोदय,

अमर उजाला शिमला,

विषय: समाज में बढ़ते अपराध को रोकने के लिए नागरिकों को जागरूक करने का आग्रह के लिए पत्र |

महोदय,

           मेरा नाम सुमित शर्मा है , मैं शिमला जिले का रहने वाला हूँ | मैं अपने  लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से नागरिकों को समाज में बढ़ते अपराध को रोकने के लिए आग्रह करना चाहता हूँ | आशा है कि आप मेरे पत्र को अपने लोकप्रिय समाचार पत्र में प्रकाशित करेंगे। नागरिकों को समाज में बढ़ते अपराध को रोकने के लिए  सहयोग देना चाहिए |  देश का भविष्य और उन्नति युवा विद्यार्थी पीढ़ी पर निर्भर करती है | युवा पीढ़ी और देश का भविष्य एक दूसरे पर निर्भर करता है| नागरिकों को अन्याय और अपराध के लिए आवाज उठानी चाहिए |  नागरिकों को हर जगह हर स्थान पर सतर्क रहना चाहिए , उन्हें डर के नहीं रहना चाहिए और भ्रष्टाचार के प्रति आवाज़  उठानी चाहिए |    

नागरिकों की  नई सोच और सकारात्मक सोच के साथ देश की प्रगति में अपना योगदान कर सकते है | नागरिकों को राष्ट्र के उन्नयन में महत्वपूर्ण माना है ।    

धन्यवाद|

भवदीय,

सुमित |  

Answered by bulwalsuman
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Answer:

विद्यालय की प्रयोगशाला में प्रयोग करते हुए आपसे कुछ सामान टूट गया है, जिसके कारण विज्ञान शिक्षिका ने आप पर एक हज़ार रुपये का जुर्माना कर दिया है। इसे माफ़ कराने का निवेदन करते हुए प्रार्थना पत्र लिखिए।

उत्तर:

सेवा में

नवांकुर पब्लिक स्कूल

योग संस्थान रोड

रोहतक, हरियाणा

विषय-जुर्माना माफ़ करने के संबंध में

महोदय

सविनय निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। कल तीसरे पीरियड में प्रयोगशाला में प्रयोग करते समय नाइट्रिक एसिड की बोतल मेरे हाथ से छूटकर गिर गई, जिससे बोतल टूट गई और फ़र्श पर एसिड बिखर गया। यद्यपि विज्ञान शिक्षिका से मैं यह कहता रह गया कि जान-बूझकर मैंने ऐसा नहीं किया है, फिर भी उन्होंने मुझे दोषी मानते हुए एक हज़ार रुपये का जुर्माना कर दिया है। श्रीमान जी, मेरे पिता जी चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं, जो यह जुर्माना भरने में असमर्थ हैं।

अतः आपसे प्रार्थना है कि मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए जुर्माना माफ़ करने की कृपा करें। भविष्य में मैं ऐसी गलती नहीं करूँगा।

सधन्यवाद,

आपका आज्ञाकारी शिष्य

मयंक मौर्य

दसवीं ‘ब’, अनुक्रमांक-28

28 जनवरी, 20XX

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