समाज में कोरोना दुष्प्रभाव
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आज विश्व जिस कोरोना नामक महामारी का शिकार हो रहा है उसका मूल कारण मानव द्वारा प्रकृति के साथ की छेड़छाड़ ही है। अपने स्वार्थ के लिए मानव ने जल, हवा को जहां प्रदूषित किया वहीं पृथ्वी का दोहन इतना किया कि उसकी क्षमता भी कमजोर हो गई। मानव की लाभ और लालसा का परिणाम है कि जल, थल, आकाश सब प्रभावित हो चुके हैं। कोरोना महामारी इंसान को स्पष्ट संदेश दे रही है कि अगर अब भी मानव ने प्रकृति के साथ छेड़छाड़ जारी रखी तो उसका व उसकी भावी पीढिय़ों का भविष्य अंधकारमय ही होगा।
हवा और पानी के बिना जीवन के बारे कोई कल्पना भी नहीं कर सकता और कटु सत्य यही है कि जल और हवा दोनों प्रदूषित हो चुके हैं।
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आज विश्व जिस कोरोना नामक महामारी का शिकार हो रहा है उसका मूल कारण मानव द्वारा प्रकृति के साथ की छेड़छाड़ ही है। अपने स्वार्थ के लिए मानव ने जल, हवा को जहां प्रदूषित किया वहीं पृथ्वी का दोहन इतना किया कि उसकी क्षमता भी कमजोर हो गई। मानव की लाभ और लालसा का परिणाम है कि जल, थल, आकाश सब प्रभावित हो चुके हैं। कोरोना महामारी इंसान को स्पष्ट संदेश दे रही है कि अगर अब भी मानव ने प्रकृति के साथ छेड़छाड़ जारी रखी तो उसका व उसकी भावी पीढिय़ों का भविष्य अंधकारमय ही होगा।
हवा और पानी के बिना जीवन के बारे कोई कल्पना भी नहीं कर सकता और कटु सत्य यही है कि जल और हवा दोनों प्रदूषित हो चुके हैं।