समाज में समानता को बढ़ाने के 2 उपाय लिखें।
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[||समानता]] सामाजिक सन्दर्भों में समानता (equality) का अर्थ किसी समाज की उस स्थिति से है जिसमें उस समाज के सभी लोग समान (अलग-अलग नहीं) अधिकार या प्रतिष्ठा (status) रखते हैं। सामाजिक समानता के लिए 'कानून के सामने समान अधिकार' एक न्यूनतम आवश्यकता है जिसके अन्तर्गत सुरक्षा, मतदान का अधिकार, भाषण की स्वतंत्रता, एकत्र होने की स्वतंत्रता, सम्पत्ति अधिकार, सामाजिक वस्तुओं एवं सेवाओं पर समान पहुँच (access) आदि आते हैं। सामाजिक समानता में स्वास्थ्य समानता, आर्थिक समानता, तथा अन्य सामाजिक सुरक्षा भी आतीं हैं। इसके अलावा समान अवसर तथा समान दायित्व भी इसके अन्तर्गत आता है।
सामाजिक समानता (Social Equality) किसी समाज की वह अवस्था है जिसके अन्तर्गत उस समाज के सभी व्यक्तियों को सामाजिक आधार पर समान महत्व प्राप्त हो। समानता की अवधारणा मानकीय राजनीतिक सिद्धांत के मर्म में निहित है। यह एक ऐसा विचार है जिसके आधार पर करोड़ों-करोड़ों लोग सदियों से निरंकुश शासकों, अन्यायपूर्ण समाज व्यवस्थाओं और अलोकतांत्रिक हुकूमतों या नीतियों के ख़िलाफ़ संघर्ष करते रहे हैं और करते रहेंगे। इस लिहाज़ से समानता को स्थाई और सार्वभौम अवधारणाओं की श्रेणी में रखा जाता है।
दो या दो से अधिक लोगों या समूहों के बीच संबंध की एक स्थिति ऐसी होती है जिसे समानता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। लेकिन, एक विचार के रूप में समानता इतनी सहज और सरल नहीं है, क्योंकि उस संबंध को परिभाषित करने, उसके लक्ष्यों को निर्धारित करने और उसके एक पहलू को दूसरे पर प्राथमिकता देने के एक से अधिक तरीके हमेशा. उपलब्ध रहते हैं। अलग-अलग तरीके अख्तियार करने पर समानता के विचार की भिन्न-भिन्न परिभाषाएँ उभरती हैं।
Explanation:
It's Pandit Manish...
Explanation:
- सामाजिक सुरक्षा प्रदान करके: ...
- कमपेनसेटरी डिस्क्रिमिनेशन (प्रति पूरक भेदभाव ): सार्वजनिक सेवाओं, प्रतिनिधि संगठनों/ निकायों, शैक्षिक संस्थानों मे आरक्षण लागू करके व अन्य सहायता प्रदान करके.