समाज में व्याप्त लिंगभेद आधारित किन्हीं दो सामाजिक बुराइयों के लिखिए
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Explanation:
मानव समाज में संरचनात्मक एवं सांस्कृतिक भिन्नताएं पाई जाती है। परन्तु भिन्न भिन्न समाजों में इनका स्वरूप, प्रकृति एवं गहनता अलग-अलग होती है। सामाजिक समस्याओं का सम्बन्ध समाजशास्त्र विषय के अन्तर्गत विद्यमान गत्यात्मक एवं परिवर्तन विषय से सम्बद्ध रहा है।
जो समाज जितना अधिक गत्यात्मक एवं परिवर्तनशील होगा उसमें उतनी ही अधिक समस्याएं विद्यमान होंगी। समाज का ताना-बाना इतना जटिल है कि इसकी एक इकाई में हेने वाला परिवर्तन अन्य इकाईयों को भी प्रभावित करता है। इस परिवर्तन का स्वरूप क्या होगा? एवं इसके प्रभाव क्या होंगे?, यह समाज की प्रकष्ति पर निर्भर करता है। विभिन्न युगों में सामाजिक परिवर्तन की गति अलग-अलग रही है। इसलिए भिन्न-भिन्न समाजों में सामाजिक समस्याओं की प्रकृति एवं स्वरूप भी अलग-अलग पाये जाते हैं। वर्तमान समय में सामाजिक परिवर्तन अति तीव्र गति से हो रहा है। इस तरह बदलते आधुनिक समाज के स्वरूप ने सामाजिक समस्याओं में बेतहाशा वृद्धि की है। मानव समाज इन सामाजिक समस्याओं का उन्मूलन करने के लिए सदैव प्रयासरत रहा है, क्योंकि सामाजिक समस्याएं सामाजिक व्यवस्था में विघटन पैदा करती हैं जिससे समाज के अस्तित्व को खतरा पैदा हो जाता है।
समाजशास्त्र मानव समाज को निर्मित करने वाली इकाईयों एवं इसे बनाए रखने वाली संरचनाओ तथा संस्थाओं का अध्ययन अनेक रूपों से करता है। समाजशास्त्रियों एवं सामाजिक विचारकों ने अपनी रूचि के अनुसार समाज के स्वरूपों, संरचनाओ, संस्थाओं एवं प्रक्रियाओं का अध्ययन किया है। समस्या विहीन समाज की कल्पना करना असम्भव सा प्रतीत होता है।