Hindi, asked by StarTbia, 1 year ago

(७) ‘समाज परोपकार वृत्ति के बल पर ही ऊँचा उठ सकता हैं', इस कथन से संबंधित अपने विचार लिखिए।

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Answered by shailajavyas
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रहीम का दोहा है-- "तरुवर फल नहिं खात है सरवर पियहिंं न पानि | कहि रहीम पर काज हित संपति संचहिं सुजान।।"अर्थात रहीम कहते हैं कि पेड़ अपने फल नहीं खाता है और सरोवर अपना पानी नहीं पीता, परंतु दूसरों की भलाई के लिए वह अपनी वस्तुएं प्रदान करते हैं । प्रकृति की जड़ चेतन सभी वस्तुएं अपने तरीके से प्रकृति को सहयोग प्रदान करती है तो फिर हम तो मनुष्य हैं । हमें भी अपने विवेक द्वारा मानवीय समाज को भलिभांति सहयोग करना चाहिए । 
                    संसार में जितने प्राणी है मनुष्य को उनमें सर्वश्रेष्ठ माना गया है क्योंकि अन्य जीव जंतुओं में मनुष्यों की भांति सोचने-समझने, उचित-अनुचित का निर्णय करने की शक्ति का अभाव होता है। अतएव अपने विवेक से हमें भी परोपकार करना चाहिए | प्यासे को पानी पिलाना, भूखे को भोजन प्रदान करना तथा जरूरतमंद को आवश्यक मदद प्रदान करना,यह सब परोपकार के कार्य हैं | जिससे लोगों का भला होता है और समाज में एक सद्भावना पनपने लगती है । परोपकार का कार्य आप छोटे से लेकर बड़े स्तर तक कर सकते हैं । इसी भावना से प्रेरित होकर हमारे देश में अनेक अस्पताल, शिक्षा संस्थाएं तथा अन्य कल्याणकारी संस्थाएं खुली हुई हैं | जहां पर कई धनिक वर्गों द्वारा एवं सरकार की तरफ से सहायता प्रदान की जाती है | फलत: परोपकार के कार्य संपन्न होते हैं। इसी सहयोग एवं सोच द्वारा समाज का उत्थान होता है । अतः प्राणी मात्र के कल्याण के लिए हमें इस भावना को सदैव सम्मानीय दृष्टिकोण द्वारा स्वयं में सन्निहित रखना चाहिए । हम मनुष्य है, हम कर्म कर सकते है | ये शक्ति पशुओं के पास नहीं है, अस्तु हमें निरंतर इस शक्ति का सदुपयोग करते हुए जनकल्याणार्थ कार्य करने चाहिए | इस परोपकार की वृत्ति से हमें आत्मसंतुष्टि भी प्राप्त होगी तथा मानव समाज का विकास भी होगा |
Answered by baaliya599
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समाज परोपकार वृत्ति के बल पर ही ऊँचा उठ सकता है, इस कथन से संबंधित

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