समाज सेवक की आत्मकथा हिंदी निबंध
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मेरा जन्म भारत देश के एक छोटे से गांव में सन 1870 में हुआ था मेरे पिताजी एक स्कूल में टीचर थे.सबसे पहले मैंने स्कूल की पढ़ाई पूरी की इसके बाद मैंने अपनी पढ़ाई आगे भी जारी रखी क्योंकि मैं एक शिक्षित परिवार से था जिस कारण मैं इतना पढ़ पाया.पहले के जमाने में पढ़ाई पर कोई भी विशेष ध्यान नहीं दिया जाता था मेरे गांव में भी मेरे बराबर पढ़ा-लिखा कोई नहीं था.कुछ समय बाद मेरा पूरा परिवार गांव से शहर रहने लगा वहां पर हम एक किराए के मकान में रहते थे जीवन ठीक तरह से चल रहा था ये वो दौर था जिसमें अंग्रेजों का शासन था.अंग्रेज हिंदूओ पर तरह तरह के अत्याचार करते थे इसी के साथ में हमारे समाज में जैसे कि दहेज प्रथा,बाल विवाह प्रथा,सती प्रथा,विधवा विवाह पर रोक आदि बहुत सी ऐसी कुप्रथाएं थी जिनको मैं बचपन से ही देखते हुए आ रहा था.
उस जमाने में मेरा विवाह बहुत ही कम उम्र में हुआ था.बाल विवाह प्रथा उस समय समाज में फेली हुई थी.बच्चों का विवाह कम उम्र में कर दिया जाता था जिस उम्र में बच्चों के खेलने और पढ़ाई के दिन होते हैं उसी उम्र में बच्चे शादी के बंधन में बांध दिए जाते थे.पढ़ाई के बाद में इस तरह की बहुत सी कुप्रथाओं मुझे समाज में देखने को मिली.समाज में सती प्रथा फेली हुई थी जो बिल्कुल भी ठीक नहीं थी.उस समय लड़कियों की शिक्षा पर भी कोई भी विशेष ध्यान नहीं दिया जाता था लड़कियों को सिर्फ घर की चार दीवारों के अंदर कैद कर दिया जाता था.वह सिर्फ घर का काम करती थी उनके लिए पढ़ाई का उस समय कोई भी महत्व नहीं समझा जाता था. इसके अलावा लड़कियों की बहुत ही कम उम्र में शादी की जाती थी.लड़का लड़की जो कम उम्र में बहुत ही नासमझ होते थे उन्हें शादी के महत्व के बारे में कुछ भी समझ नहीं थी उनकी भी कम उम्र में शादी करके उनके जीवन के साथ खिलवाड़ किया जाता था.इस तरह की बहुत सारी बुराइयां हमारे समाज में चारों ओर फैली हुई थी जब मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की और मैं इस तरह की बहुत सी कुप्रथाओं के बारे में समझा तो मैं अपने समाज से इन बुराइयों को दूर करना चाहता था.मैंने बाल विवाह,सती प्रथा आदि का विरोध किया और हर संभव प्रयास इन कुप्रथाओं को खत्म करने के लिए किया.मैंने इन कुप्रथाओं को खत्म करने के लिए कुछ आंदोलन भी किए,रेलियां निकाली इसी के साथ सती प्रथा,बाल विवाह प्रथा को दूर करने के लिए मैंने बहुत प्रयत्न किये क्योंकि यह हमारे समाज के लिए बहुत ही घातक थी.