Sociology, asked by yogitaparte4, 5 months ago

समाज सजतियता की चेतना पर आधारित है यह कथन किसका है

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Answered by yaqubkhan8540
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मार्क्सवादी विचारधारा के अंतर्गत भ्रांत चेतना (False consciousness) को ऐसी अवस्था माना जाता है जिसमें सर्वहारा वर्ग को स्वयं यह ज्ञात नहीं होता कि उसके हित वास्तव में किस राजनीतिक दल-समूह, विचारधारा से जुड़े हुए हैं और इतिहास में उसकी वास्तविक भूमिका क्या है। वे ऐसी विचारधारा के प्रभाव में रहते हैं जो उनके हितों के विरुद्ध होती है। भ्रांत चेतना पैदा करके शासक वर्ग सर्वहारा के उत्पीड़न और शोषण की स्थितियाँ बनाये रखता है और सर्वहारा स्वयं उस शोषण को सही मानने लगता है। मार्क्स ने अपनी प्रसिद्ध कृति कम्युनिस्ट मैनिफ़ेस्टो में लिखा है कि किसी भी दौर के शासक वर्ग के विचार ही शासक-विचार होते हैं। यानी सत्तारूढ़ वर्ग के विचार ही सर्वाधिक प्रभावशाली विचार बन जाते हैं। इस सामाजिक चेतना तथा प्रभावशाली विचारों का संबंध भी भ्रांत चेतना से है क्योंकि सर्वहारा निजी चेतना के विकास के स्थान पर शासक वर्ग द्वारा विकसित चेतना को अपना लेता है। मार्क्स के अनुसार यह थोपी हुई अर्थात् झूठी चेतना होती है। कालांतर में सर्वहारा यह समझने लगता है कि सत्तारूढ़ वर्ग ने वास्तविकता के प्रति जो चेतना पैदा की है, वह उनके वर्ग हितों के अनुरूप नहीं है और फिर भ्रांत चेतना के स्थान पर वास्तविक वर्ग-चेतना पैदा हो जाती है।

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