'समाज' शब्द के विभिन्न पक्षों की चर्चा कीजिए। यह आपके सामान्य बौद्धिक ज्ञान की समझ से किस प्रकार अलग है?
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'समाज' शब्द के विभिन्न पक्ष हैं रीतियां ,कार्य प्रणालियां, अधिकार सत्ता, पारस्परिक सहयोग ,समूह तथा विभाग, मानव व्यवहार की स्वतंत्रताएं है। रीतियों का अर्थ है समाज के वह स्वीकृत ढंग जिन्हें समाज व्यवहार के क्षेत्र में मान्यता देता है। कार्य प्रणालियों का अर्थ सामाजिक संस्थाओं से है जो समाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए बहुत ही आवश्यक है। अधिकार सत्ता का अर्थ उस व्यवस्था से है जो समाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए समाज की इकाइयों पर नियंत्रण रखती है। पारस्परिक सहयोग वह प्रक्रिया है जिसके उपर समाज का अस्तित्व टिका हुआ है तथा जिसके बिना समाज चल नहीं सकता है। समूह तथा विभाग का अर्थ समाज के उन समूहों तथा उप समूहों से है जिन में रहकर व्यक्ति समाज में रहने के ढंग सीखता है। मानव व्यवहार के नियंत्रण का अर्थ व सामाजिक नियंत्रण है जो समाज अपनी इकाइयों अर्थात मनुष्यों पर रखता है। यह नियंत्रण दो प्रकार का होता है औपचारिक तथा अनौपचारिक। अंत में मानव व्यवहार की स्वतंत्रताएं का अर्थ उस स्वतंत्रता से है जो मनुष्य को नियंत्रण में रहते हुए भी चाहिए तथा जिसके बिना वह अच्छा जीवन नहीं जी सकता।
अगर हम समाज शब्द के अर्थ अपने अथवा किसी सामान्य आदमी के सामान्य बौद्धिक ज्ञान के अनुसार देखें तो सामान्य व्यक्ति यह कहते हैं कि समाज वह समूह है जो कुछ व्यक्तियों को मिलाकर बनाया गया है अर्थात व्यक्तियों के एकत्र अथवा समूह को समाज कहते हैं । परंतु यह अर्थ समाज की समाज शास्त्रीय धारणा से बिल्कुल ही अलग है । सामान्य व्यक्ति समाज के व्यक्तियों का समूह समझता है जबकि समाजशास्त्री समाज को संबंधों का जाल अथवा व्यवस्था कहते हैं। इस प्रकार सामान्य बौद्धिक ज्ञान तथा समाजशास्त्रीय धारणा एक दूसरे से विपरीत हैं।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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समाजशास्त्र समाज के विभिन्न पक्षों से चर्चा की गई यह आपके सामान्य बुद्धि ज्ञान की समस्या किस प्रकार अलग हैं
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