Hindi, asked by sekhardutta69, 11 months ago

समाजगह
months
सारी
जहँ तहँ गईं सकल' तब सीता कर मन सोच।
मास दिवस बीते माहि' मारिहिं निसिचर पोच॥
त्रिजटा सन बोली कर जोरी'। मातु बिपति संगिनि तैं मोरी॥
- तजौ“ देह करु बैगि उपाई। दुस्हू बिरहु’ अब नहिं सहि जाई ||
10
ant
dhiमाश
सलहा
आनि काठ रचु चिता बनाई। मातु अनल पुनि देहि लगाई।
सत्य करहि मम प्रीति सयानी। सुनै को श्रवन सूल सम बानी॥
सुनत बचन पद गहि समुझाएसि। प्रभु प्रताप बल सुजसु सुनाएसि॥
निसि न अनल' मिल सुनु सुकुमारी। अस कहि सो निज भवन सिधारी॥
astri
का विदीका 491
कह सीता बिधि भा प्रतिकूला। मिलिहि न पावक मिटहि न सूला" ||
देखिअत प्रगट गगन अंगारा। अवनि न आवत एकउ तारा॥
नवनाNHARMA) EAMAN​

Answers

Answered by gauravarduino
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Explanation:

समाजगह

months

सारी

जहँ तहँ गईं सकल' तब सीता कर मन सोच।

मास दिवस बीते माहि' मारिहिं निसिचर पोच॥

त्रिजटा सन बोली कर जोरी'। मातु बिपति संगिनि तैं मोरी॥

- तजौ“ देह करु बैगि उपाई। दुस्हू बिरहु’ अब नहिं सहि जाई ||

10

ant

dhiमाश

सलहा

आनि काठ रचु चिता बनाई। मातु अनल पुनि देहि लगाई।

सत्य करहि मम प्रीति सयानी। सुनै को श्रवन सूल सम बानी॥

सुनत बचन पद गहि समुझाएसि। प्रभु प्रताप बल सुजसु सुनाएसि॥

निसि न अनल' मिल सुनु सुकुमारी। अस कहि सो निज भवन सिधारी॥

astri

का विदीका 491

कह सीता बिधि भा प्रतिकूला। मिलिहि न पावक मिटहि न सूला" ||

देखिअत प्रगट गगन अंगारा। अवनि न आवत एकउ तारा॥

नवनाNHARMA) EAMAN

Answered by gauravsharmatech
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समाजगह

months

सारी

जहँ तहँ गईं सकल' तब सीता कर मन सोच।

मास दिवस बीते माहि' मारिहिं निसिचर पोच॥

त्रिजटा सन बोली कर जोरी'। मातु बिपति संगिनि तैं मोरी॥

- तजौ“ देह करु बैगि उपाई। दुस्हू बिरहु’ अब नहिं सहि जाई ||

10

ant

dhiमाश

सलहा

आनि काठ रचु चिता बनाई। मातु अनल पुनि देहि लगाई।

सत्य करहि मम प्रीति सयानी। सुनै को श्रवन सूल सम बानी॥

सुनत बचन पद गहि समुझाएसि। प्रभु प्रताप बल सुजसु सुनाएसि॥

निसि न अनल' मिल सुनु सुकुमारी। अस कहि सो निज भवन सिधारी॥

astri

का विदीका 491

कह सीता बिधि भा प्रतिकूला। मिलिहि न पावक मिटहि न सूला" ||

देखिअत प्रगट गगन अंगारा। अवनि न आवत एकउ तारा॥

नवनाNHARMA) EAMAN

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