Sociology, asked by pandreswati97, 7 months ago

समाजशास्त्र के प्रमुख उपागम ओं की विवेचना संक्षेप में कीजिए​

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Answered by ramanandb74
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समाजशास्त्र मानव समाज का अध्ययन है। यह सामाजिक विज्ञान की एक शाखा है, जो मानवीय सामाजिक संरचना और गतिविधियों से संबंधित जानकारी को परिष्कृत करने और उनका विकास करने के लिए, अनुभवजन्य विवेचन[1][2] और विवेचनात्मक विश्लेषण[3] की विभिन्न पद्धतियों का उपयोग करता है, अक्सर जिसका ध्येय सामाजिक कल्याण के अनुसरण में ऐसे ज्ञान को लागू करना होता है। समाजशास्त्र की विषयवस्तु के विस्तार, आमने-सामने होने वाले संपर्क के सूक्ष्म स्तर से लेकर व्यापक तौर पर समाज के बृहद स्तर तक है।

समाजशास्त्र, पद्धति और विषय वस्तु, दोनों के मामले में एक विस्तृत विषय है। परम्परागत रूप से इसकी केन्द्रियता सामाजिक स्तर-विन्यास (या "वर्ग"), सामाजिक संबंध, सामाजिक संपर्क, धर्म, संस्कृति और विचलन पर रही है, तथा इसके दृष्टिकोण में गुणात्मक और मात्रात्मक शोध तकनीक, दोनों का समावेश है। चूंकि अधिकांशतः मनुष्य जो कुछ भी करता है वह सामाजिक संरचना या सामाजिक गतिविधि की श्रेणी के अर्न्तगत सटीक बैठता है, समाजशास्त्र ने अपना ध्यान धीरे-धीरे अन्य विषयों जैसे- चिकित्सा, सैन्य और दंड संगठन, जन-संपर्क और यहां तक कि वैज्ञानिक ज्ञान के निर्माण में सामाजिक गतिविधियों की भूमिका पर केन्द्रित किया है। सामाजिक वैज्ञानिक पद्धतियों की सीमा का भी व्यापक रूप से विस्तार हुआ है। 20वीं शताब्दी के मध्य के भाषाई और सांस्कृतिक परिवर्तनों ने तेज़ी से सामाज के अध्ययन में भाष्य विषयक और व्याख्यात्मक दृष्टिकोण को उत्पन्न किया। इसके विपरीत, हाल के दशकों ने नये गणितीय रूप से कठोर पद्धतियों का उदय देखा है, जैसे सामाजिक नेटवर्क विश्लेषण।

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