समाजवादी दलों और कम्युनिस्ट पार्टी के बीच के तीन अंतर बताएं I इसी तरह भारतीय जनसंघ और स्वतंत्र पार्टी के बीच के तीन अंतरों का उल्लेख करें I
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भारत विभाजन की योजना को जब स्वीकार कर लिया गया तब डॉ मुखर्जी ने बंगाल और पंजाब के विभाजन की मांग उठाकर प्रस्तावित पाकिस्तान का विभाजन कराया और आधा बंगाल और आधा पंजाब खंडित भारत के लिए बचा लिया। महात्मा गांधी और सरदार पटेल के अनुरोध पर वे खंडित भारत के पहले मंत्रिमण्डल में शामिल हुए, और उन्हें उद्योग जैसे महत्त्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। संविधान सभा और प्रांतीय संसद के सदस्य और केंद्रीय मंत्री के नाते श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने शीघ्र ही अपना विशिष्ट स्थान बना लिया। किन्तु उनके हिंदू राष्ट्रवादी चिंतन के साथ-साथ अन्य नेताओं से मतभेद बने रहे। फलत: श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने मंत्रिमण्डल से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने प्रतिपक्ष के सदस्य के रूप में अपनी भूमिका निर्वहन को चुनौती के रूप में स्वीकार किया, और शीघ्र ही अन्य हिंदू राष्ट्रवादी दलों और तत्वों को मिलाकर एक नई पार्टी बनाई जो कि विरोधी पक्ष में सबसे बडा दल था। अक्टूबर, 1951 में भारतीय जनसंघ का उद्भव हुआ। जिसके संस्थापक अध्यक्ष, डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी रहे।[1]
"समाजवादी दल और कम्युनिस्ट पार्टी के बीच का अंतर :
१. समाजवादी दल लोकतांत्रिक विचारधारा में विश्वास करता है, कम्युनिस्ट पार्टी सर्वहारा वर्ग के अधिनायकवाद में विश्वास करती है |
२. समाजवादी दल पुँजियो और पूंजीपतियों का विरोध नहीं करता, कम्युनिस्ट पार्टी पुँजियो और पूंजीपतियों का विरोध करती है |
३. समाजवादी दल राज्यरूपी संस्था को रखना चाहते है, कम्युनिस्ट पार्टी राज्य को समाप्त करने के पक्षमें है | भारतीय जनसंघ और स्वतंत्र पार्टी के बीच का अंतर :
१. स्वतंत्र पार्टी राज्य का कम से कम हस्तेक्षेप चाहती थी, भारतीय जनसंघ राज्य की सकारात्मक भूमिका का समर्थन करता है |
२. स्वतंत्रता पार्टी धर्म निरपेक्षता का समर्थन करती है, भारतीय जनसंघ हिंदुत्व के प्रचार-प्रसार का समर्थन करती है |
३. स्वतंत्रता पार्टी गुट-निरपेक्षता की निति और सोवियत संघ से दोस्ताना रिश्ते को कायम रखना गलत मानती थी , जबकि भारतीय जनसंघ इसका समर्थन करती थी | "