सम
के
संस
मित
के
सूरज-सा चमकूँ मैं,
चन्दा-सा चमकूँ मैं,
जगमग-जगमग उज्ज्वल,
तारों-सा दमकूँ मैं,
मेरी अभिलाषा है।
फूलों-सा महकूँ मैं,
विहगों-सा चहकूँ मैं,
गुंजित-सा वन-उपवन,
कोयल-सा कुहकूँ मैं,
मेरी अभिलाषा है। संदर्भ और पृसंग
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