Hindi, asked by satbirchoudhary5947, 11 months ago

सम्मुख शब्द में से उपसर्ग व मूल शब्द अलग कीजिए

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Answered by shiva7369
11

Answer:

upsarg - sam

Explanation:

Mool shabd - aamukh

Answered by shabanaali49283
4

Me · Beginner

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khushi4436

khushi4436 Ambitious

उपसर्ग वह शब्दांश या अव्यय है, जो किसी शब्द के आरंभ में जुड़कर उसके अर्थ में (मूल शब्द के अर्थ में) विशेषता ला दे या उसका अर्थ ही बदल दे।'' वे उपसर्ग कहलाते है।

जैसे- प्रसिद्ध, अभिमान, विनाश, उपकार।

इनमे कमशः 'प्र', 'अभि', 'वि' और 'उप' उपसर्ग है।

उपसर्ग की तीन गतियाँ या विशेषताएँ होती हैं-

(1) शब्द के अर्थ में नई विशेषता लाना।

जैसे- प्र + बल= प्रबल

अनु + शासन= अनुशासन

(2) शब्द के अर्थ को उलट देना।

जैसे- अ + सत्य= असत्य

अप + यश= अपयश

(3) शब्द के अर्थ में, कोई खास परिवर्तन न करके मूलार्थ के इर्द-गिर्द अर्थ प्रदान करना।

जैसे- वि + शुद्ध= विशुद्ध

परि + भ्रमण= परिभ्रमण

उपसर्ग की परिभाषा (Prefixes)

उपसर्ग उस शब्दांश या अव्यय को कहते है, जो किसी शब्द के पहले आकर उसका विशेष अर्थ प्रकट करता है।

दूसरे शब्दों में- ''उपसर्ग वह शब्दांश या अव्यय है, जो किसी शब्द के आरंभ में जुड़कर उसके अर्थ में (मूल शब्द के अर्थ में) विशेषता ला दे या उसका अर्थ ही बदल दे।'' वे उपसर्ग कहलाते है।

जैसे- प्रसिद्ध, अभिमान, विनाश, उपकार।

इनमे कमशः 'प्र', 'अभि', 'वि' और 'उप' उपसर्ग है।

यह दो शब्दों (उप+ सर्ग) के योग से बनता है। 'उप' का अर्थ 'समीप', 'निकट' या 'पास में' है। 'सर्ग' का अर्थ है सृष्टि करना। 'उपसर्ग' का अर्थ है पास में बैठाकर दूसरा नया अर्थवाला शब्द बनाना। 'हार' के पहले 'प्र' उपसर्ग लगा दिया गया, तो एक नया शब्द 'प्रहार' बन गया, जिसका नया अर्थ हुआ 'मारना' । उपसर्गो का स्वतन्त्र अस्तित्व न होते हुए भी वे अन्य शब्दों के साथ मिलाकर उनके एक विशेष अर्थ का बोध कराते हैं।

उपसर्ग शब्द के पहले आते है। जैसे- 'अन' उपसर्ग 'बन' शब्द के पहले रख देने से एक शब्द 'अनबन 'बनता है, जिसका विशेष अर्थ 'मनमुटाव' है। कुछ उपसर्गो के योग से शब्दों के मूल अर्थ में परिवर्तन नहीं होता, बल्कि तेजी आती है। जैसे- 'भ्रमण' शब्द के पहले 'परि' उपसर्ग लगाने से अर्थ में अन्तर न होकर तेजी आयी। कभी-कभी उपसर्ग के प्रयोग से शब्द का बिलकुल उल्टा अर्थ निकलता है।

उपसर्ग की विशेषता

उपसर्ग की तीन गतियाँ या विशेषताएँ होती हैं-

(1) शब्द के अर्थ में नई विशेषता लाना।

जैसे- प्र + बल= प्रबल

अनु + शासन= अनुशासन

(2) शब्द के अर्थ को उलट देना।

जैसे- अ + सत्य= असत्य

अप + यश= अपयश

(3) शब्द के अर्थ में, कोई खास परिवर्तन न करके मूलार्थ के इर्द-गिर्द अर्थ प्रदान करना।

जैसे- वि + शुद्ध= विशुद्ध

परि + भ्रमण= परिभ्रमण

उपसर्ग की संख्या

हिंदी में प्रचलित उपसर्गो को निम्नलिखित भागो में विभाजित किया जा सकता है-

(1) संस्कृत के उपसर्ग

(2) हिंदी के उपसर्ग

(3) उर्दू के उपसर्ग

(4) अंग्रेजी के उपसर्ग

(5) उपसर्गवत् अव्यय, संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण

(1) संस्कृत के उपसर्ग

उपसर्ग अर्थ उपसर्ग से बने शब्द

अति अधिक, ऊपर, उस पार अतिकाल, अत्याचार, अतिकर्मण, अतिरिक्त, अतिशय, अत्यन्त, अत्युक्ति, अतिक्रमण, इत्यादि ।

अधि ऊपर, श्रेष्ठ अधिकरण, अधिकार, अधिराज, अध्यात्म, अध्यक्ष, अधिपति इत्यादि।

अप बुरा, अभाव, हीनता, विरुद्ध अपकार, अपमान, अपशब्द, अपराध, अपहरण, अपकीर्ति, अपप्रयोग, अपव्यय, अपवाद इत्यादि।

अ अभाव अज्ञान, अधर्म, अस्वीकार इत्यादि।

अनु पीछे, समानता, क्रम, पश्र्चात अनुशासन, अनुज, अनुपात, अनुवाद, अनुचर, अनुकरण, अनुरूप, अनुस्वार, अनुशीलन इत्यादि।

आ ओर, सीमा, समेत, कमी, विपरीत आकाश, आदान, आजीवन, आगमन, आरम्भ, आचरण, आमुख, आकर्षण, आरोहण इत्यादि।

अव हीनता, अनादर, पतन अवगत, अवलोकन, अवनत, अवस्था, अवसान, अवज्ञा, अवरोहण, अवतार, अवनति, अवशेष, इत्यादि।

उप निकटता, सदृश, गौण, सहायक, हीनता उपकार, उपकूल, उपनिवेश, उपदेश, उपस्थिति, उपवन, उपनाम, उपासना, उपभेद इत्यादि।

नि भीतर, नीचे, अतिरिक्त निदर्शन, निपात, नियुक्त, निवास, निरूपण, निवारण, निम्र, निषेध, निरोध, निदान, निबन्ध इत्यादि।

निर् बाहर, निषेध, रहित निर्वास, निराकरण, निर्भय, निरपराध, निर्वाह, निर्दोष, निर्जीव, निरोग, निर्मल इत्यादि।

परा उलटा, अनादर, नाश पराजय, पराक्रम, पराभव, परामर्श, पराभूत इत्यादि।

परि आसपास, चारों ओर, पूर्ण परिक्रमा, परिजन, परिणाम, परिधि, परिपूर्ण इत्यादि।

प्र अधिक, आगे, ऊपर, यश प्रकाश, प्रख्यात, प्रचार, प्रबल, प्रभु, प्रयोग, प्रगति, प्रसार, प्रयास इत्यादि।

प्रति विरोध, बराबरी, प्रत्येक, परिवर्तन प्रतिक्षण, प्रतिनिधि, प्रतिकार, प्रत्येक, प्रतिदान, प्रतिकूल, प्रत्यक्ष इत्यादि।

वि भित्रता, हीनता, असमानता, विशेषता विकास, विज्ञान, विदेश, विधवा, विवाद, विशेष, विस्मरण, विराम, वियोग, विभाग, विकार, विमुख, विनय, विनाश इत्यादि।

सम् पूर्णता, संयोग संकल्प, संग्रह, सन्तोष, संन्यास, संयोग, संस्कार, संरक्षण, संहार, सम्मेलन, संस्कृत, सम्मुख, संग्राम इत्यादि।

सु सुखी, अच्छा भाव, सहज, सुन्दर सुकृत, सुगम, सुलभ, सुदूर, स्वागत, सुयश, सुभाषित, सुवास, सुजन इत्यादि।

अध आधे के अर्थ में अधजला, अधपका, अधखिला, अधमरा, अधसेरा इत्यादि।

अ-अन निषेध के अर्थ में अमोल, अपढ़, अजान, अथाह, अलग, अनमोल, अनजान इत्यादि।

उन एक कम उत्रीस, उनतीस, उनचास, उनसठ, उनहत्तर इत्यादि।

औ हीनता, निषेध औगुन, औघट, औसर, औढर इत्यादि।

दु बुरा, हीन दुकाल, दुबला इत्यादि।

नि निषेध, अभाव, विशेष निकम्मा, निखरा, निडर, निहत्था, निगोड़ा इत्यादि।

बिन निषेध बिनजाना, बिनब्याहा, बिनबोया, बिनदेखा, बिनखाया, बिनचखा, बिनकाम इत्यादि।

भर पूरा, ठीक भरपेट, भरसक, भरपूर, भरदिन इत्यादि।

कु-क बुराई, हीनता कुखेत, कुपात्र, कुकाठ, कपूत, कुढंग इत्यादि।

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