समान वितरण एवं असमान वितरण में अंतर बताइए
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आय के समान वितरण से ही होगा आर्थिक विकास
- बीबीएयू में आर्थिक विकास और आर्थिक गतिशीलता पर हुआ सेमिनार
एनबीटी संवादादाता, लखनऊ : बीबीएयू में बुधवार को एशिया में आर्थिक विकास और विकास की गतिशीलता पर अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया। इसमें राज्यसभा सदस्य व अर्थशास्त्री प्रो. बीएल मूनगेकर ने कहा कि बिना आर्थिक विकास किसी देश का विकास संभव नहीं है। धन का असमान वितरण इसके विकास की सबसे बड़ी समस्या है। इसकी वजह से समाज का एक वर्ग बहुत अधिक धनी और एक वर्ग गरीबी की चपेट में है। अगर हमें सम्पूर्ण आर्थिक विकास चाहिए तो हमें इस असमानता को खत्म करना होगा। आर्थिक विकास के लिए न सिर्फ विदेशी निवेश और उदार नीतियां बल्कि आय का समान वितरण भी करना होगा। यहां जातिवाद, क्षेत्रवाद, धर्म, लिंग का भी भेदभाव व्याप्त है जो की हमारे सर्वांगीण विकास में बाधक है।
आईआईटी कानपुर के प्रो. उदय रचेरला ने कहा की नवाचार और रचनात्मक दृष्टिकोण आर्थिक विकास में काफी कारगर साबित हो सकता है। 1980 में चीन की तुलना में भारत की जीडीपी बेहतर थी लेकिन बाद में भारत पीछे हो गया। इसमें व्यापार की स्वतंत्रता एक मुख्य कारण रहा है। चीन ने अपनी बेहतर व्यापार नीतियों और बेहतर बुनियादी ढांचे को मजबूत कर आर्थिक विकास की गति बढ़ाई। मगर हम इसमें पीछे रह गए। इसका मुख्य कारण प्रतिकूल कारोबारी माहौल, कम निवेश और अकुशल जनशक्ति है। हम दोस्ताना कारोबारी माहौल प्रदान कर विदेशी निवेश को आकर्षित करना है। सरकार, शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के समन्वय से दोबारा अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला सकते हैं। बीबीएयू के पूर्व वीसी प्रो.जी ननचिरैया ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि विकास दर में वृद्धि हुई, फिर भी कई समस्याएं सामने आई हैं। कृषि के क्षेत्र में गिरावट, बेरोजगारी, गरीबी जैसी कई समस्याएं आज हमारे सामने हैं। जिसका मुख्य कारण कृषि क्षेत्र में अनदेखी, ख़राब बुनियादी ढांचे और अधिक आयात, कम निर्यात है। इससे निपटने के लिए हमे बुनियादी ढांचे में वृद्धि करने की जरूरत है।
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