Political Science, asked by annny7143, 11 months ago

समानता को न्याय का मौलिक तत्व किस राजनीतिक चिंतक ने माना?

Answers

Answered by Anonymous
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Answer:

आनुपातिक समानता के रूप में न्याय के अरस्तू के विचार में एक मौलिक अंतर्दृष्टि है। अरस्तू के विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि इस तर्क में यह तय करने की विशेषताएं शामिल हैं कि क्या दो व्यक्तियों को एक समान संदर्भ में समान या असमान माना जाए।

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Answered by itsmepapakigudiya
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परम्परागत पाश्चात्य एवं भारतीय विचारधारा नैतिकता को न्याय का आधार मानती है। सद्चरित्र व्यक्ति के आचरण को न्याय की कसौटी के रूप में माना जाता है। भारतीय दर्शन में धर्म को न्याय का आधार माना गया था अर्थात् जो कार्य धर्मानुकूल है, वही न्यायपरक है। इसीलिए प्लेटो ने न्याय को आत्मा का गुण माना है। प्लेटो की मान्यता है कि न्याय व्यक्ति का निजी चारित्रिक सद्गुण एवं राजनीतिक समाज को वांछनीय गुण है। न्याय नैतिक, सामाजिक एवं राजनीतिक निर्णयन को प्रभावित करने वाला तत्व भी है।.....

वर्तमान समय में उपर्युक्त विचारों की प्रासंगिकता आधार रूप में है। मानव एक विवेकशील सामाजिक प्राणी है। वह कानूनों व नियमों से बँधा हुआ है अतएव वह कानूनी न्याय के अधीन है किन्तु आध्यात्मिकता, सद्चरित्रता, आत्मचिन्तन आदि ऐसी चीजें हैं जो सार्वभौमिक हैं और इनका पालन करने वाला व्यक्ति निश्चित ही न्याय का अनुसरण करेगा।....

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