India Languages, asked by sunilpnd1152, 9 months ago

समीपे एका लोमशिका बदरी-गुल्मानां पृष्ठे निलीना एतां वार्ता शृणोति स्म। सा सहसा चञ्चलमुपसृत्य कथयति-‘‘का वार्ता? माम् अपि विज्ञापय।" सः अवदत्-‘अहह मातृस्वसः! अवसरे त्वं समागतवती। मया अस्य व्याघ्रस्य प्राणाः रक्षिताः, परम् एषः मामेव खादितुम् इच्छति।" तदनन्तरं सः लोमशिकायै निखिल कथा न्यवेदयत्। लोमशिका चञ्चलम् अकथयत्-बाढम्, त्वं जालं प्रसारय। पुनः सा व्याघ्रम् अवदत्-केन प्रकारेण त्वम् एतस्मिन् जाले बद्धः इति अहं प्रत्यक्ष द्रष्टुमिच्छामि।।

शब्दार्थ : समीपे-पास में। लोमशिका-लोमड़ी। बदरी-गुल्मानाम्-बेर की झाड़ियों के। पृष्ठे-पीछे। निलीना-छुपी हुई। एताम्-इस (को)। उपसृत्य-समीप जाकर। विज्ञापय-बताओ। अहह-अरे!। मातृस्वसः-हे मौसी। अवसरे-उचित समय पर। समागतवती-पधारी/आई। रक्षिताः-बचाए गए। मामेव-मुझको ही। निखिलाम्-सम्पूर्ण, पूरी। न्यवेदयत्-बताई। बाढम्-ठीक है, अच्छा। प्रसारय-फैलाओ। केन प्रकारेण-किस प्रकार से (कैसे)। बद्धः-बँध गए। प्रत्यक्षम्-अपने सामने (समक्ष)। इच्छामि-चाहती हूँ।

सरलार्थ : पास में एक लोमशिका (लोमड़ी) बेर की झाड़ियों के पीछे छिपी हुई इस बात को सुन रही थी। वह अचानक चंचल के पास जाकर कहती है-‘क्या बात है? मुझे भी बताओ।’ वह बोला-‘अरी मौसी! ठीक समय पर तुम आई हो। मैंने इस बाघ के प्राण बचाए, परन्तु यह मुझे ही खाना चाहता है।’ उसके बाद उसने लोमड़ी को सारी कहानी बताई (सुनाई)। लोमड़ी ने चंचल को कहा-‘ठीक है, तुम जाल फैलाओ।’ फिर वह बाघ से बोली-‘किस तरह से तुम इस जाल में बँध (फैंस) गए, यह मैं अपनी आँखों से देखना चाहती हूँ।’

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Answered by sunnygupta91
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Answer:

I know but I don't think because

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