समास के भेद क्या क्या होते है और उनको कैसे पहचानते है??
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समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि "समास वह क्रिया है, जिसके द्वारा कम-से-कम शब्दों मे अधिक-से-अधिक अर्थ प्रकट किया जाता है।
समास का शाब्दिक अर्थ है- 'संक्षेप'। समास प्रक्रिया में शब्दों का संक्षिप्तीकरण किया जाता है।
समास के भेद या प्रकार
समास के छ: भेद होते है-
अव्ययीभाव समास - (Adverbial Compound)तत्पुरुष समास - (Determinative Compound)कर्मधारय समास - (Appositional Compound)द्विगु समास - (Numeral Compound)द्वंद्व समास - (Copulative Compound)बहुव्रीहि समास - (Attributive Compound)
अव्ययीभाव समास
जिस समास का पहला पद प्रधान हो और वह अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। जैसे - यथामति (मति के अनुसार), आमरण (मृत्यु कर) न् इनमें यथा और आ अव्यय हैं।
कुछ अन्य उदाहरण -
आजीवन - जीवन-भरयथासामर्थ्य - सामर्थ्य के अनुसारयथाशक्ति - शक्ति के अनुसारयथाविधि- विधि के अनुसारयथाक्रम - क्रम के अनुसारभरपेट- पेट भरकरहररोज़ - रोज़-रोज़हाथोंहाथ - हाथ ही हाथ मेंरातोंरात - रात ही रात मेंप्रतिदिन - प्रत्येक दिनबेशक - शक के बिनानिडर - डर के बिनानिस्संदेह - संदेह के बिनाप्रतिवर्ष - हर वर्ष
अव्ययीभाव समास की पहचान - इसमें समस्त पद अव्यय बन जाता है अर्थात समास लगाने के बाद उसका रूप कभी नहीं बदलता है। इसके साथ विभक्ति चिह्न भी नहीं लगता। जैसे - ऊपर के समस्त शब्द है।
तत्पुरुष समास - जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद गौण हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे - तुलसीदासकृत = तुलसी द्वारा कृत (रचित)
ज्ञातव्य- विग्रह में जो कारक प्रकट हो उसी कारक वाला वह समास होता है।
विभक्तियों के नाम के अनुसार तत्पुरुष समास के छह भेद हैं-
कर्म तत्पुरुष (गिरहकट - गिरह को काटने वाला)करण तत्पुरुष (मनचाहा - मन से चाहा)संप्रदान तत्पुरुष (रसोईघर - रसोई के लिए घर)अपादान तत्पुरुष (देशनिकाला - देश से निकाला)संबंध तत्पुरुष (गंगाजल - गंगा का जल)अधिकरण तत्पुरुष (नगरवास - नगर में वास)तत्पुरुष समास के प्रकारनञ तत्पुरुष समास
जिस समास में पहला पद निषेधात्मक हो उसे नञ तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे -
समस्त पदसमास-विग्रहसमस्त पदसमास-विग्रहअसभ्यन सभ्यअनंतन अंतअनादिन आदिअसंभवन संभवकर्मधारय समास
जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद व उत्तरपद में विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का संबंध हो वह कर्मधारय समास कहलाता है। जैसे -
समस्त पदसमास-विग्रहसमस्त पदसमास-विग्रहचंद्रमुखचंद्र जैसा मुखकमलनयनकमल के समान नयनदेहलतादेह रूपी लतादहीबड़ादही में डूबा बड़ानीलकमलनीला कमलपीतांबरपीला अंबर (वस्त्र)सज्जनसत् (अच्छा) जननरसिंहनरों में सिंह के समानद्विगु समास
जिस समास का पूर्वपद संख्यावाचक विशेषण हो उसे द्विगु समास कहते हैं। इससे समूह अथवा समाहार का बोध होता है। जैसे -
समस्त पदसमास-विग्रहसमस्त पदसमास-विग्रहनवग्रहनौ ग्रहों का समूहदोपहरदो पहरों का समाहारत्रिलोकतीन लोकों का समाहारचौमासाचार मासों का समूहनवरात्रनौ रात्रियों का समूहशताब्दीसौ अब्दो (वर्षों) का समूहअठन्नीआठ आनों का समूहत्रयम्बकेश्वरतीन लोकों का ईश्वर
द्वंद्व समास
जिस समास के दोनों पद प्रधान होते हैं तथा विग्रह करने पर ‘और’, अथवा, ‘या’, एवं लगता है, वह द्वंद्व समास कहलाता है। जैसे-
समस्त पदसमास-विग्रहसमस्त पदसमास-विग्रहपाप-पुण्यपाप और पुण्यअन्न-जलअन्न और जलसीता-रामसीता और रामखरा-खोटाखरा और खोटाऊँच-नीचऊँच और नीचराधा-कृष्णराधा और कृष्ण
बहुव्रीहि समास
समास का शाब्दिक अर्थ है- 'संक्षेप'। समास प्रक्रिया में शब्दों का संक्षिप्तीकरण किया जाता है।
समास के भेद या प्रकार
समास के छ: भेद होते है-
अव्ययीभाव समास - (Adverbial Compound)तत्पुरुष समास - (Determinative Compound)कर्मधारय समास - (Appositional Compound)द्विगु समास - (Numeral Compound)द्वंद्व समास - (Copulative Compound)बहुव्रीहि समास - (Attributive Compound)
अव्ययीभाव समास
जिस समास का पहला पद प्रधान हो और वह अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। जैसे - यथामति (मति के अनुसार), आमरण (मृत्यु कर) न् इनमें यथा और आ अव्यय हैं।
कुछ अन्य उदाहरण -
आजीवन - जीवन-भरयथासामर्थ्य - सामर्थ्य के अनुसारयथाशक्ति - शक्ति के अनुसारयथाविधि- विधि के अनुसारयथाक्रम - क्रम के अनुसारभरपेट- पेट भरकरहररोज़ - रोज़-रोज़हाथोंहाथ - हाथ ही हाथ मेंरातोंरात - रात ही रात मेंप्रतिदिन - प्रत्येक दिनबेशक - शक के बिनानिडर - डर के बिनानिस्संदेह - संदेह के बिनाप्रतिवर्ष - हर वर्ष
अव्ययीभाव समास की पहचान - इसमें समस्त पद अव्यय बन जाता है अर्थात समास लगाने के बाद उसका रूप कभी नहीं बदलता है। इसके साथ विभक्ति चिह्न भी नहीं लगता। जैसे - ऊपर के समस्त शब्द है।
तत्पुरुष समास - जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद गौण हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे - तुलसीदासकृत = तुलसी द्वारा कृत (रचित)
ज्ञातव्य- विग्रह में जो कारक प्रकट हो उसी कारक वाला वह समास होता है।
विभक्तियों के नाम के अनुसार तत्पुरुष समास के छह भेद हैं-
कर्म तत्पुरुष (गिरहकट - गिरह को काटने वाला)करण तत्पुरुष (मनचाहा - मन से चाहा)संप्रदान तत्पुरुष (रसोईघर - रसोई के लिए घर)अपादान तत्पुरुष (देशनिकाला - देश से निकाला)संबंध तत्पुरुष (गंगाजल - गंगा का जल)अधिकरण तत्पुरुष (नगरवास - नगर में वास)तत्पुरुष समास के प्रकारनञ तत्पुरुष समास
जिस समास में पहला पद निषेधात्मक हो उसे नञ तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे -
समस्त पदसमास-विग्रहसमस्त पदसमास-विग्रहअसभ्यन सभ्यअनंतन अंतअनादिन आदिअसंभवन संभवकर्मधारय समास
जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद व उत्तरपद में विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का संबंध हो वह कर्मधारय समास कहलाता है। जैसे -
समस्त पदसमास-विग्रहसमस्त पदसमास-विग्रहचंद्रमुखचंद्र जैसा मुखकमलनयनकमल के समान नयनदेहलतादेह रूपी लतादहीबड़ादही में डूबा बड़ानीलकमलनीला कमलपीतांबरपीला अंबर (वस्त्र)सज्जनसत् (अच्छा) जननरसिंहनरों में सिंह के समानद्विगु समास
जिस समास का पूर्वपद संख्यावाचक विशेषण हो उसे द्विगु समास कहते हैं। इससे समूह अथवा समाहार का बोध होता है। जैसे -
समस्त पदसमास-विग्रहसमस्त पदसमास-विग्रहनवग्रहनौ ग्रहों का समूहदोपहरदो पहरों का समाहारत्रिलोकतीन लोकों का समाहारचौमासाचार मासों का समूहनवरात्रनौ रात्रियों का समूहशताब्दीसौ अब्दो (वर्षों) का समूहअठन्नीआठ आनों का समूहत्रयम्बकेश्वरतीन लोकों का ईश्वर
द्वंद्व समास
जिस समास के दोनों पद प्रधान होते हैं तथा विग्रह करने पर ‘और’, अथवा, ‘या’, एवं लगता है, वह द्वंद्व समास कहलाता है। जैसे-
समस्त पदसमास-विग्रहसमस्त पदसमास-विग्रहपाप-पुण्यपाप और पुण्यअन्न-जलअन्न और जलसीता-रामसीता और रामखरा-खोटाखरा और खोटाऊँच-नीचऊँच और नीचराधा-कृष्णराधा और कृष्ण
बहुव्रीहि समास
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samas ke 6 bhed hote hai
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