Hindi, asked by Nishu66645, 3 months ago

समास की परिभाषा भेद और उदाहरण के साथ बताइए। CLASS 7.
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Answered by pratyush15899
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समास:

समास का अर्थ ‘संक्षिप्त’ या ‘संछेप’ होता है। समास का तात्पर्य है ‘संक्षिप्तीकरण’।

दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए एक नवीन एवं सार्थक शब्द को समास कहते हैं।

जैसे –

रसोई के लिए घर’ इसे हम ‘रसोईघर’ भी कह सकते हैं।

समास के मुख्यत: छह भेद है

  1. तत्पुरुष समास
  2. कर्मधारय समास
  3. विगु समास
  4. अव्ययीभव समास
  5. बहुब्रीहि समास तथा
  6. द्वंद्व समास

1) तत्पुरुष समास – इस समास में उत्तरपद अर्थात् दूसरा पद प्रधान होता है। इसमें कारक चिह्नों का लोप हो जाता है। कर्ता तथा संबोधन इन दो कारकों के अतिरिक्त अन्य सभी छह कारकों के आधार पर इसमें भेद किए गए हैं।

  • कर्म कारक की विभक्ति ‘को’ का लोप

स्वर्ग प्राप्त

माखन चोर

स्वर्ग को प्राप्त

माखन को चुराने वाला

  • करणकारक की विभक्ति से ‘या’ के द्वारा का लोप–

रसभरी – रस से भरी

ज्ञानयुक्त – ज्ञान से युक्त

  • संप्रदान कारक की विभक्ति के लिए’ का लोप-रसोईघर-रसोई के लिए घर

  • अपादान कारक की विभक्ति से का लोप–रोगयुक्त-रोग से युक्त

धनहीन – धन से हीन

धर्मभ्रष्ट – धर्म से भ्रष्ट

  • संबंध कारक की विभक्ति का/की/के का लोप

राजपुत्र – राजा का पुत्र

गंगाजल – गंगा का जल

  • अधिकरण कारक की विभक्ति में/पर’ का लोप

दानवीर – दान में वीर

लोकप्रिय – लोक में प्रिय

2) कर्मधारय समास – जिस समास के दोनों पदों में विशेषण-विशेष्य या उपमेय-उपमान का संबंध हो, वह कर्मधारय समास कहलाता है। इसमें उत्तर पद प्रधान होता है; जैसे

चरणकमल – कमल के समान चरण

भुजदंड – दंड के समान भुजा

कनकलता – कनक के समान लता

घनश्याम – घन के समान श्याम (काला)

3) विगु समास – जिस समस्त पद का पूर्वपद संख्यावाची विशेषण हो, उसे विगु समास कहते हैं; जैसे:

नवरात्रि  – नवरात्रियों का समूह

सप्तऋषि – सात ऋषियों का समूह

पंचमढ़ी   – पांच मणियों का समूह

त्रिनेत्र – तीन नेत्रों का समाहार

अष्टधातु  – आठ धातुओं का समाहार

तिरंगा  – तीन रंगों का समूह

4) बहुब्रीहि समास – जिस समास में दोनों ही पद प्रधान न हों, बल्कि कोई अन्यपद भी प्रधान हो, वह बहुब्रीहि समास कहलाता है। जैसे

नीलकंठ – नीला है कंठ जिसका अर्थात शिव इस समास के पदों में कोई भी पद प्रधान नहीं है , बल्कि पूरा पद किसी अन्य पद का विशेषण होता है।

चतुरानन – चार है आनन  जिसके अर्थात ब्रह्मा

चक्रपाणि  – चक्र है पाणी में जिसके अर्थात विष्णु

चतुर्भुज – चार है भुजाएं जिसकीअर्थात विष्णु

पंकज  – पंक में जो पैदा हुआ हो अर्थात कमल

वीणापाणि  – वीणा है कर में जिसके अर्थात सरस्वती

लंबोदर  – लंबा है उद जिसका अर्थात गणेश.

5) द्वंद्व समास – जिस समास में दोनों ही पद प्रधान हों, वह द्वंद्व समास कहलाता है;  इसके तीन भेद हैं – १ इत्येत्तर द्वंद  , २ समाहार द्वंद , ३ वैकल्पिक द्वंद।

अन्न – जल  = अन्न और जल

नदी – नाले   = नदी और नाले

धन – दौलत   = धन दौलत

मार-पीट    = मारपीट

आग – पानी  = आग और पानी

गुण – दोष    = गुण और दोष

पाप –  पुण्य   = पाप या पुण्य

6) अव्ययीभाव समास – अव्ययीभाव समास में पूर्वपद अव्यय’ होता है तथा वहीं उत्तर पद प्रधान होता है। अव्ययीभाव समास को विग्रह करते समय ‘उत्तरपद’ पहले लिखा जाता है और पूर्वपद बाद में लिखा जाता है। जैसे प्रतिदिन , आमरण , यथासंभव इत्यादि।

अन्य उदाहरण

प्रति + कूल  = प्रतिकूल

आ + जन्म   = आजन्म

प्रति + दिन  = प्रतिदिन

यथा + संभव   = यथासंभव

अनु + रूप   = अनुरूप।

पेट + भर   = भरपेट

आजन्म   – जन्म से लेकर

यथास्थान  – स्थान के अनुसार.

:))

Answered by Anonymous
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AYESHA KO KYA HUA AB???

WOH MERESE BAAT NAHI KAR RAHI H...

MBE SORRY BHI KHE DIYA H..

PLEASE BATAO M KYA KARU

??

PLEASE

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