समास शब्दे किम् प्रत्ययम अस्ति
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'समसनम' इति समास:। इस प्रकार 'समास' शब्द का अर्थ है— स ् क्षेपण। अर ं ्थात्
दो या दो स अे धिक पदों में प्रयक्ुत विभक्तियों, समच्चय बो
ु धक 'च' आदि
को हटाकर एक पद बनाना। यथा— गायन के ुशला = गायनकुशला। इसी तरह
राज्ञ: परु
ुष: = राजपरुष: प ु दों में विभक्ति-लोप, सीता च रामश्च = सीतारामौ में
समच्चय बो
ु धक 'च' का लोप हुआ है। इसी प्रकार विद्या एव धनं
यस्य स: =
विद्याध्ान: पद में कुछ पदों का लोप कर सं
क्षेपण क्रिया द्वारा गायनकुशला,
राजपरुष:, सी ु तारामौ तथा विद्याधन: पद बनाए गए हैं।
कहीं-कहीं पदों के बीच की विभक्ति का लोप नहीं भी होता है।
यथा— खेचर:, यध
ुिष्ठिर:, वनेचर: आदि। ऐसे समासों को अलकु्समास
कहते हैं। पदों की प्रधानता के आधार पर समास के मख्ुयत: चार भेद होते हैं—
(1) अव्ययीभाव (2) तत्पुरुष (3) ्पु द्वन्द्व तथा (4) बहु
व्रीहि। तत्पुरुष क ्पु ेदो उपभेद
भी हैं— कर्मधारय एवंद्विग। इस प्रकार सामा ु न्य रूप से समास के छ: भेद हैं।