समास विग्रह
अश्वपतितः
रागात्
मुक्तः
उपकूलम्
अनुविष्णुः
गंगायाः
समीपम्
Answers
BHAI YE SANSKRIT HAI ISE HINDI ME MAT DALO AND ANS IDK
Answer:
समास :-
जब दो या दो से अधिक पद मिलकर एक नया शब्द बनाते है, और उनके बीच की विभक्ति अथवा संयोजक लुप्त हो जाते है, तो इस संक्षिप्तीकरण की क्रिया को ‘समास’ कहते है।
विग्रह –
समास का अर्थ बताने वाले वाक्य को ‘विग्रह’ कहते है।
उदाहरण – धर्मस्य युद्धम् (धर्म का युद्ध) यह एक है। इसमें यदि समास होता है तो ‘धर्मस्य’ शब्द में से षष्ठी विभक्ति का लोप हो जाता है और ‘धर्मयुद्धम्’ यह एक नया शब्द बन जाता है।
समस्त पद –
समास होने के पश्चात जो एक पद बनता है, उसे ‘समस्त पद’ या ‘सामाजिक पद’ कहते हैं। उपर्युक्त उदाहरण में ‘धर्मयुद्धम्’ समस्त पद है और ‘धर्मस्य युद्धम्’ इसका विग्रह है।
विशेष – जिन पदों में समास होता, उनमें से पहले पद को ‘पूर्व पद’ तथा अगले पद को ‘उत्तर पद’ कहते है। ‘धर्मस्य युद्धम्’ इस विग्रह में ‘धर्मस्य’ पूर्व पद है तथा युद्धम् उत्तर पद है।
१) अव्ययीभाव
जिस समास में पूर्व पद अव्यय हो और उसी के की प्रधानता हो। उसे अव्ययीभाव कहते हैं।
विशेष – अव्ययीभाव समास नित्य समास होता है। इस कारण इसका विग्रह नहीं होता। विग्रह के रुप में केवल समस्त पद अर्थ बताया जाता है।
अव्ययीभाव समास करके बना हुआ पद भी अव्यय ही होता है, उसका रुप नपुसंक लिंग एकवचन में बनता है।
उदाहरण – समस्त पद समास – विग्रह
उपगंगम् (गंगा के सपीप) गंगायाः समीपम्
दुर्यवनम् (यवनों का नाश) यवनानां व्यृद्धिः
निर्मक्षिकम् (मक्षिकाओं का अभाव) मक्षिकाणां
अभाव
सहिरः (हरि के सदृश) हरेः सादृश्यम्
अनुविष्णु (विष्णु के पीछे) विष्णोः पश्चात्
अनुरुपम् (रुप के योग्य) रुपस्य योग्यम्
यथाशक्ति (शक्ति के अनुसार) शक्तिमनतिक्रम्य
आससमुद्रम् (समुद्र पर्यन्त) समुद्रस्य पर्यन्तम्
प्रति- दिनम् (दिन प्रति दिन) दिन दिनं प्रति
अनुगंगम् (गंगा के समीप) गंगायाः समीपम्
२) कर्मधारय
विशेषण और विशेष्य अथवा उपमान और उपमेय के समास को ‘कर्मधारय’ समास कहते हैं। यह तत्पुरुष समास का एक भेद है। अतः इसमें उत्तर पद के अर्थ की प्रधानता होती है।
उदाहरण – समस्त पद समास – विग्रह
महापुरुषषः महान् चासौ पुरुषः
कृष्ण सर्पः कृष्णः सर्पः
नीलोत्पलम् नीलम् उत्पलम्
पीताम्बरम् पीतम् अम्बरम्
विद्याधनम् विद्या एव धनम्
मुखकमलम् मुखमेव कमलम्
कमलमुखम् मुखं कमलम् इव
घनश्यामः घन इव श्यामः
नरव्याघ्रः नर एव व्याघ्र
पीतकमलम् पीतम् कमलम्
श्वेताम्बरा श्वेता अम्बरा
रक्तवस्त्रम् रक्तम् वस्त्रम्
Explanation:
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