समः शत्रा च मित्र च तथा मानापमानयाः।
ऐसी मूढ़ता या मन की।
परिहरि रामभगति-सुरसरिता आस करत ओसकन की।।
धूमसमूह निरखि चातक ज्यों, तृषित जानि मति घन की।
नहिं तहँ सीतलता न बारि, पुनि हानि होति न कहौं कुचाल कृपानिधि जानत हौ गति मन की।
तुलसिदास प्रभु हरहुँ दुसह दु:ख, करहुँ लाज निज पन क
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Happy new year
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I wish this year fulfill your wish and also this year full of happiness
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