समितियो के कौन कौन से कार्य नही है
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विधान मण्डलों के बहुआयामी कार्य एवं सरकार के कार्य–कलापों की जटिलताओं को दृष्टिगत रखते हुए राज्य विधान मण्डल के लिए यह सम्भव नहीं है कि वह सदन के अन्दर विधायन एवं अन्य महत्वपूर्ण कार्यों का सूक्ष्म परीक्षण कर सकें। राज्य की संचित निधि से धनराशि आहरित किये जाने की अपनी स्वीकृति के अन्तर्गत किये गये व्यय पर प्रभावी नियन्त्रण की आवश्यकता होती है। संविधान के अनुच्छेद 174(2) के अधीन विधान मण्डल के प्रति मंत्रि–परिषद के सामूहिक उत्तरदायित्व और कार्यपालिका के कृत्यों पर प्रभावी नियंत्रण रखने के लिए संविधान के अनुच्छेद–208 के अन्तर्गत बनायी गई उत्तर प्रदेश विधान सभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली, 1958 के विभिन्न स्थाई प्रकृति की वित्तीय एवं गैर वित्तीय समितियों का गठन किया जाता है। वित्तीय समितियों में लोक लेखा समिति, सार्वजनिक उपक्रम एवं निगम संयुक्त समिति, प्रदेश के स्थानीय निकायों के लेखा परीक्षा प्रतिवेदनों की जांच सम्बन्धी समिति तथा प्राक्कलन समिति मुख्य हैं। इसके अतिरिक्त उक्त नियमावली के अन्तर्गत आवश्यकतानुसार तदर्थ समितियों का भी गठन किये जाने का प्रावधान है। वास्तव में संसदीय समितियां सदन की आंख और कान का कार्य करती हैं और उन्ही के माध्यम से सदन सत्र में न रहते हुये भी निरन्तर कार्य करता रहता है प्रक्रिया नियमावली में जिन समितियों के गठन का प्रावधान है उनका तथा उनके कृत्यों आदि का विवरण आगे अंकित है।