समुद्र किनारे एक शाम पर निबंध plz don't copy paste
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सागर की शोभा
सूर्य अपनी किरणें लगभग समेट चुका था और उसकी लालिमा से सागर का जल सिंदूरी बन रहा था । सागर में खड़ी नावें बड़ी-बड़ी छाया मूर्तियाँ जैसी लग रही थीं। उनके मल्लाह अपनी सुरीली और ऊँची आवाज में कोई गीत गा रहे थे। आकाश अपनी सुनहरी शोभा बिखेरकर रजनी-रानी के स्वागत की तैयारियाँ कर रहा था
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