समुद्रगुप्त की विजयो पर टिप्पणी लिखिए ?
कक्षा 12 इतिहास
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समुद्रगुप्त की वीरता, सैनिक अभियानों व सफलताओं को देखकर उसे महान इतिहासकार द्वारा दी गई यह उपाधि ठीक प्रतीत होती है. जिस समय वह सिंहासन पर बैठा उस समय गुप्त राज्य बहुत छोटा था. सारा देश अनेक छोटे-छोटे भागों में बंटा हुआ था. इन राज्यों में पस्पर शत्रुता देखी जाती थी. समुद्रगुप्त ने उनमें से अनेक राज्यों को जीतकर एक शक्तिशाली साम्राज्य बनाने का निश्चय किया. उसने उत्तर-भारत के नौ राज्यों को हराकर अपने राज्य में मिलाया. उसने दक्षिण-भारत के 12 राज्यों से युद्ध किया परन्तु उन्हें अपने साम्राज्य में नहीं मिलाया. इससे पता चलता है कि Samudragupta वीर होने के साथ-साथ दूरदर्शी भी था.
समुद्रगुप्त मौर्य वंश के महान शासक अशोक के ठीक विपरीत था. अशोक शान्ति व लोगों के दिल में राज करने पर विश्वास रखता था, परन्तु उसकी तुलना में समुद्रगुप्त अधिक क्रोध वाला और हिंसक था. कौशाम्बी में भी अशोक स्तम्भ है, उस पर समुद्रगुप्त की प्रशस्ति अंकित है. इस लेख में Samudragupta के जीवन के प्रायः सभी पहलुओं की जानकारी प्राप्त होती है. समुद्रगुप्त का दरबारी कवि श्री हरिषेण के प्रयाग प्रशस्ति लेख में उन जनगणों और देशों के नाम गिनाये हैं जिनको समुद्रगुप्त ने जीता था. उसकी प्रमुख विजयें कुछ इस प्रकार थीं –
प्रयाग प्रशस्ति द्वारा जानकारी मिलती है कि समुद्रगुप्त ने उत्तर-भारत के नौ राज्यों को जीतकर अपने साम्राज्य में मिलाया. वे राज्य थे – वाकाटक राज्य, मतिल राज्य, नागवंश का राज्य, पुष्करण का राज्य, नागसेन, मथुरा के राज, नागसेन, रामनगर के राज्य, असम राकी, नागवंशी राज्य, नन्दिन और कोटवंशीय राज्य. कोटवंश के राजाओं ने तो समुद्रगुप्त के विरुद्ध कई राज्यों का एक संघ ही बना लिया था. परन्तु उन सभी राज्यों को हारना पड़ा.
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