CBSE BOARD XII, asked by devarakh124, 3 months ago

samachar ka pran tatva​

Answers

Answered by bhupendravarma2007
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Explanation:

प्राण हिन्दू दर्शनों, जैसे योगदर्शन और आयुर्वेद इत्यादि में जीवनी शक्ति को कहा गया है।[1] कुछ प्रसंगों में इसे सूर्य से उत्पन्न और पूरे ब्रह्माण्ड में व्याप्त शक्ति के रूप में भी वर्णित किया गया है।[2]

प्राण हिन्दू दर्शनों, जैसे योगदर्शन और आयुर्वेद इत्यादि में जीवनी शक्ति को कहा गया है।[1] कुछ प्रसंगों में इसे सूर्य से उत्पन्न और पूरे ब्रह्माण्ड में व्याप्त शक्ति के रूप में भी वर्णित किया गया है।[2]आयुर्वेद, तन्त्र इत्यादि में पाँच प्रकार के प्राण बताये गये हैं:

प्राण हिन्दू दर्शनों, जैसे योगदर्शन और आयुर्वेद इत्यादि में जीवनी शक्ति को कहा गया है।[1] कुछ प्रसंगों में इसे सूर्य से उत्पन्न और पूरे ब्रह्माण्ड में व्याप्त शक्ति के रूप में भी वर्णित किया गया है।[2]आयुर्वेद, तन्त्र इत्यादि में पाँच प्रकार के प्राण बताये गये हैं:प्राण

प्राण हिन्दू दर्शनों, जैसे योगदर्शन और आयुर्वेद इत्यादि में जीवनी शक्ति को कहा गया है।[1] कुछ प्रसंगों में इसे सूर्य से उत्पन्न और पूरे ब्रह्माण्ड में व्याप्त शक्ति के रूप में भी वर्णित किया गया है।[2]आयुर्वेद, तन्त्र इत्यादि में पाँच प्रकार के प्राण बताये गये हैं:प्राणअपान

प्राण हिन्दू दर्शनों, जैसे योगदर्शन और आयुर्वेद इत्यादि में जीवनी शक्ति को कहा गया है।[1] कुछ प्रसंगों में इसे सूर्य से उत्पन्न और पूरे ब्रह्माण्ड में व्याप्त शक्ति के रूप में भी वर्णित किया गया है।[2]आयुर्वेद, तन्त्र इत्यादि में पाँच प्रकार के प्राण बताये गये हैं:प्राणअपानउदान

प्राण हिन्दू दर्शनों, जैसे योगदर्शन और आयुर्वेद इत्यादि में जीवनी शक्ति को कहा गया है।[1] कुछ प्रसंगों में इसे सूर्य से उत्पन्न और पूरे ब्रह्माण्ड में व्याप्त शक्ति के रूप में भी वर्णित किया गया है।[2]आयुर्वेद, तन्त्र इत्यादि में पाँच प्रकार के प्राण बताये गये हैं:प्राणअपानउदानसमान

प्राण हिन्दू दर्शनों, जैसे योगदर्शन और आयुर्वेद इत्यादि में जीवनी शक्ति को कहा गया है।[1] कुछ प्रसंगों में इसे सूर्य से उत्पन्न और पूरे ब्रह्माण्ड में व्याप्त शक्ति के रूप में भी वर्णित किया गया है।[2]आयुर्वेद, तन्त्र इत्यादि में पाँच प्रकार के प्राण बताये गये हैं:प्राणअपानउदानसमानव्यान

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