Hindi, asked by yadavamodh848, 1 year ago

Samachar lekhan ki prakriya ka varnan kijiye​

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Answered by tamannakumre399
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Answer:

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Explanation:

सबसे पहले तो समाचार का ‘इंट्रो’ होता है। यह कह सकते हैं कि यह असली समाचार है जो चंद शब्दों में पाठकों को बताता है कि क्या घटना घटित हुई है। इसके बाद के पैराग्राफ में इंट्रो की व्याख्या करनी होती है। इंट्रो में जिन प्रश्नों का उत्तर अधूरा रह गया है उनका उत्तर देना होता है। इसलिए समाचार लिखते समय इंट्रों के बाद व्याख्यात्मक जानकारियां देने की जरूरत होती है। इसके बाद विवरणात्मक या वर्णनात्मक जानकारियां दी जानी चाहिए। घटनास्थल का वर्णन करना, इस दृष्टि से यह कहा जा सकता है कि यह घटना के स्वभाव पर निर्भर करता है कि विवरणात्मक जानकारियों का कितना महत्त्व है। मसलन अगर कहीं कोई उत्सव हो रहा हो जिसमें अनेक सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम चल रहे हों तो निश्चय ही इसका समाचार लिखते समय घटनास्थल का विवरण ही सबसे महत्त्वपूर्ण है। अगर कोई राजनीतिज्ञ प्रेस सम्मेलन करता है तो इसमें विवरण देने (प्रेस सम्मेलन में व्याप्त माहौल के बारे में बताने) के लिए कुछ नहीं होता और सबसे महत्त्वपूर्ण यही होता है कि राजनीतिज्ञ ने जो कुछ भी कहा और एक पत्रकार थोड़ा आगे बढक़र इस बात की पड़ताल कर सकता है कि राजनीतिज्ञ का प्रेस सम्मेलन बुलाकर यह सब कहने के पीछे क्या मकसद था जो उसने मीडिया (यानि जनता) के साथ शेयर की और जिन बातों को उसने सार्वजनिक किया। यह भी कहा जाता है कि जो बताया जा रहा है वह समाचार नहीं बल्कि तो छिपाया जा रहा है वह समाचार है।

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