Hindi, asked by akshatkansal, 9 months ago

samachar patra ke hani in hindi

Answers

Answered by nonigopalbarman857
9

Answer:

समाचार पत्र को रोज़ पढ़ने से रोज़ खबर मिलती है और इंसान को पूरी दुनिया के बारे में जानकारी मिलती है.

2. समाचार पत्र को पढ़ने से भाषा का भी सुधार होता है.

3. समाचार पत्र में कहानिया , चुटकुले पढ़ने को मिलती है.

4. देश-विदेश के बारे में पता चल जाता है.

5. समाचार पत्र शिक्षा का साधन बी है पेपर के रिजल्ट और जॉब्स का पता चलता है.

6. समाचार पत्र में हम विज्ञापन भी दे सकते है.

समाचार पत्र के हानियां:

1.कई बार समाचार पत्र में गलत कामों की खबर को छुपा देते है.

2. समाचार पत्र में लोग कई बार गलत खबर छाप देते है.

3. समाचार पत्र में कई बार अच्छी खबर नहीं छापी जाती.

Explanation:

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Answered by dikshadevyani1201
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Answer:

भूमिका- मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । जैसे-जैसे उसकी सामाजिकता में विस्तार होता जाता है वैसे-वैसे उसकी अपने साथियों के दुःख-सुख जानने की इच्छा भी तीव्र होती जाती है । इतना ही नहीं वह आस-पास के जगत की गतिविधियों से परिचित रहना चाहता है । मनुष्य अपनी योग्यता तथा साधनों के अनुसार समय-समय पर समाचार जानने की कोशिश करता रहा है । इन कोशिशों में समाचार-पत्रों एवं प्रेसों का आविष्कार सबसे महत्त्वपूर्ण है । आज समाचार-पत्र सर्वसुलभ हो गए हैं । इन समाचार-पत्रों ने संसार को एक परिवार का रूप दे दिया है । एक मोहल्ले से लेकर राष्ट्र तक की और राष्ट्र से लेकर विश्व तक की गतिविधियों का चित्र इन समाचार-पत्रों के माध्यम से हमारे सामने आ जाता है ।

समाचार-पत्रों का इतिहास– प्राचीन काल में समाचार जानने के साधन बड़े स्थूल थे । समाचार को पहुँचाने में पर्याप्त समय लग जाता था । कुछ समाचार तो स्थायी से बन जाते थे । सम्राट् अशोक ने बौद्ध धर्म के सिद्धान्तों को दूर-दूर तक पहुंचाने के लिए लाटें बनवाईं । साधु-महात्मा चलते-चलते समाचार पहुंचाने का कार्य करते थे, पर ये समाचार अधिकतर धर्म एवं राजनीति से सम्बन्ध रखते थे । छापेखाने के आविष्कार के साथ ही समाचार-पत्र की जन्म-कथा का प्रसंग आता है । अंग्रेजों के साथ-साथ हमारे देश में समाचार-पत्रों का विकास हुआ । सर्वप्रथम 20 जनवरी, 1780 ई० में वारेन हेस्टिंग्ज ने ‘इण्डियन गजट’ नामक समाचार पत्र निकाला । इसके बाद ईसाई प्रचारकों ने ‘समाज दर्पण’ नामक अखबार प्रारम्भ किया । राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा के विरोध में ‘कौमुदी’ तथा ‘चन्द्रिका’ नामक अखबार निकाले । ईश्वरचन्द्र विद्या सागर ने ‘प्रभाकर’ नाम से एक समाचार-पत्र प्रकाशित किया । हिन्दी के साहित्यकारों ने भी समाचार-पत्रों के विकास में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया । स्वाधीनता से पूर्व निकलने वाले समाचार-पत्रों ने स्वाधीनता संग्राम में जो भूमिका निभाई, वह प्रशंसनीय है । उन्होंने भारतीय जीवन में जागरण एवं क्रान्ति का शंख बजा दिया । लोकमान्य तिलक का ‘केसरी’ वास्तव में सिंह गर्जना के समान था ।

विभिन्न रूप- समाचार-पत्र अपने विषय के अनुरूप कई प्रकार के होते हैं । इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण समाचार-पत्र दैनिक समाचार-पत्र हैं । ये प्रति-दिन छपते हैं और संसार भर के समाचारों का दूत बन कर प्रातः घर-घर पहुंच जाते हैं । हिन्दी दैनिक समाचार–पत्रों में नवभारत टाइम्स, हिन्दुस्तान, आज, विश्वमित्र, दैनिक जागरण, अमर उजाला, पंजाब केसरी, वीर प्रताप, दैनिक ट्रिब्यून का बोलबाला है । साप्ताहिक-पत्रों में विभिन्न विषयों पर लेख, सरस कहानियां, मधुर कविताएं तथा साप्ताहिक घटनाओं तक का वर्णन रहता है । मासिक-पत्रों में अपेक्षाकृत जीवनोपयोगी अनेक विषयों की विस्तार से चर्चा रहती है । धार्मिक-पत्रों में ‘कल्याण’ बड़ा लोकप्रिय है ।

लाभ- समाचार-पत्रों से अनेक लाभ हैं । आज के युग में इनकी उपयोगिता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । इनका सबसे बड़ा लाभ यह है कि विश्व भर में घटित घटनाओं का परिचय हम घर बैठे प्राप्त कर लेते हैं । यह ठीक है कि रेडियो इनसे भी पूर्व समाचारों की घोषणा कर देता है, पर रेडियो पर केवल संकेत होता है, उनकी सचित्र झांकी तो अखबारों द्वारा ही देखी जा सकती है । यदि समाचार-पत्रों को विश्व जीवन का दर्पण कहें तो अत्युक्ति न होगी । इनके द्वारा जीवन के विभिन्न दृष्टिकोण, विभिन्न विचारधाराएं हमारे सामने आ जाती हैं । प्रत्येक पत्र का सम्पादकीय विशेष महत्त्वपूर्ण होता है । आज का युग इतना तीव्रगामी है कि यदि हम दो दिन अखबार न पढ़ें तो हम ज्ञान-विज्ञान में बहुत पीछे रह जाएं ।

इनसे पाठक का मानसिक विकास होता है । उनकी जिज्ञासा शान्त होती है और साथ ही ज्ञान-पिपासा बढ़ जाती है । समाचार–पत्र एक व्यक्ति से लेकर सारे देश की आवाज है जो दूसरे देशों तक पहुंचती है । इनसे भावना एवं चिन्तन के क्षेत्र का विकास होता है । व्यापारियों के लिए ये विशेष लाभदायक हैं । वे विज्ञापन द्वारा वस्तुओं की बिक्री में वृद्धि करते हैं । इनमें रिक्त स्थानों की सूचना, सिनेमा-जगत् के समाचार, क्रीड़ा जगत् की गतिविधियां, परीक्षाओं के परिणाम, वैज्ञानिकउपलब्धियां, वस्तुओं के भावों के उतार-चढ़ाव, उत्कृष्ट कविताएं चित्र, कहानियां, धारावाहिक, उपन्यास आदि प्रकाशित होते रहते हैं । समाचार-पत्रों के विशेषांक बड़े उपयोगी होते हैं । इनमें महान् व्यक्तियों की जीवन गाथा, धार्मिक, सामाजिक आदि उत्सवों का बड़े विस्तार से परिचय रहता है । देश-विदेश के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक भवनों के चित्र भी पाठकों को देखने को मिलते हैं ।

हानियां- समाचार-पत्र अत्यन्त उपयोगी होते हुए भी कुछ कारणों से हानिकारक हैं । इस हानि का कारण इनका दुरुपयोग है । प्राय: बहुत-से समाचार-पत्र किसी-न-किसी धार्मिक अथवा राजनीतिक पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं । अखबार का सहारा लेकर एक दल दूसरे दल पर कीचड़ उछालता रहता है । अनेक सम्पादक सत्ताधारियों की चापलूसी करके सत्य को छिपा रहे हैं । कुछ समाचार-पत्र व्यावसायिक दृष्टि को महत्त्व देते हुए इनमें कामुकता एवं विलासिता को बढ़ाने वाले नग्न चित्र छापते हैं । कभी-कभी अश्लील कहानियाँ एवं कविताएँ भी देखने को मिल जाती हैं । साम्प्रदायिक समाचार-पत्र पाठकों के दृष्टिकोण को संकीर्ण बनाते हैं तथा राष्ट्र में अनावश्यक एवं गलतफहमी पैदा करते हैं । पक्षपातपूर्ण ढंग से और बड़ा-चढ़ा कर प्रकाशित किए गए समाचार-पत्र जनता में गलतफहमी पैदा करते हैं । झूठे विज्ञापनों से लोग गुमराह होते हैं । इस प्रकार इस प्रभावशाली साधन का दुरुपयोग कभी-कभी देश के लिए अभिशाप बन जाता है ।

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