Hindi, asked by pratham00738, 8 months ago


samachar patra ke madhyam se maah 2020 me pramukh samacharon ki soochi banaiye​

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Answered by Aditya12227
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दिल्ली के निजामुद्दीन में बीते दिनों जो कुछ हुआ, उसके नकारात्मक नतीजे सामने आने लगे हैं। इस बीच सरकार तब्लीगी मरकज में शामिल होने वालों की तलाश में जुट गई है। इस खबर के साथ ही राज्यों के मुख्यमंत्रियों से पीएम मोदी की चर्चा आज दिल्ली से प्रकाशित होने वाले अखबारों की सुर्खियां हैं। सबसे पहले बात करते हैं अमर उजाला की, जिसने आज काफी आकर्षक फ्रंट पेज तैयार किया है।

लीड निजामुद्दीन के नकारात्मक नतीजे हैं। जमातियों और उनके संपर्क में आये करीब 9000 लोगों की पहचान कर ली गई है, इनमें से 1306 विदेशी बताये जा रहे हैं। लीड में केंद्र से राज्यों को मिले सख्ती के निर्देश का भी जिक्र है, जिसमें लॉकडाउन के उल्लंघन पर दो साल की सजा की बात कही गई है। निश्चित तौर पर इस खबर पर लोगों का सबसे ज्यादा ध्यान जाएगा। कोरोना की बढ़ती चाल को भी प्रमुखता से लगाया गया है। दिल्ली में एक डॉक्टर दंपती भी इसकी चपेट में आ गया है। इसके अलावा, विदेशों में फंसे भारतीयों को सरकार का संदेश और दारुल उलूम का घर पर नमाज अदा करने का फतवा भी पेज पर है। एंकर में पीएम मोदी की मुख्यमंत्रियों से चर्चा है।

अब रुख करते हैं दैनिक जागरण का। फ्रंट पेज की शुरुआत पीएम मोदी के टॉप बॉक्स से हुई है। मोदी का कहना है कि देश लॉकडाउन के दौर से धीरे-धीरे बाहर आएगा। लीड जमातियों पर कसता शिकंजा है। सरकार ने 960 विदेशी तब्लीगी को काली सूची में डाल दिया है। यानी अब वे कभी भारत का रुख नहीं कर पाएंगे।

वहीं, कोरोना की बढ़ती चाल के साथ ही इंदौर में स्वास्थ्यकर्मियों पर हुए हमले को भी प्रमुखता के साथ जगह मिली है। एंकर में नीलू रंजन की बाईलाइन है, जिन्होंने बताया है कि कोरोना के तीसरे फेज में पहुंचने की आशंका गहरा गई है।

आज नवभारत टाइम्स के फ्रंट पेज को देखें तो लीड पीएम मोदी की धर्मगुरुओं से अपील को लगाया गया है और जमातियों की ‘कारगुजारियां’ एवं देवबंद का फतवा भी इसी का हिस्सा है। मोदी ने धर्मगुरुओं से अपील करते हुए कहा है कि कोरोना ने हमारी आस्था पर हमला बोला है, सभी पंथ के लोग एकजुट होकर इसे हराएं। दिल्ली में संक्रमण की चपेट में आये डॉक्टर दंपती सहित कोरोना से जुड़ी कुछ अन्य खबरें भी पेज पर हैं।

इसके अलावा, अखबार ने लॉकडाउन का नकारात्मक पक्ष उजागर करने का भी प्रयास किया है। पूनम पाण्डेय की बाईलाइन बताती है कि लॉकडाउन अवधि के दौरान महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामलों में इजाफा हुआ है। एंकर की बात करें तो यहां कत्यानी की बाईलाइन को जगह मिली है। उन्होंने लॉकडाउन के बीच सोशल बायकाट के डर से बढ़ रहे खुदकुशी के मामलों के बारे में बताया है।

अब चलते हैं राजस्थान पत्रिका पर। फ्रंट पेज की लीड कोरोना से मुकाबले के लिए सरकार की तैयारी को लगाया गया है। इस ‘जंग’ को निर्णायक मोड़ पर ले जाने के लिए सेना के डॉक्टर और एनसीसी कैडेट तैनाती को तैयार हैं।

लीड में कोरोना की बढ़ती चाल का भी जिक्र है। वहीं, जमातियों पर कसता शिकंजा और सरकारी कदमों पर विपक्ष की प्रतिक्रिया को भी बड़ी जगह मिली है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का कहना है कि कोरोना की जांच का दायरा बढ़ाए बिना लॉकडाउन का कोई मतलब नहीं। इसके अतिरिक्त, प्रिंस चार्ल्स का इलाज करने वाले भारतीय डॉक्टर से भी अखबार ने पाठकों को रूबरू कराया है। एंकर में लॉकडाउन के चलते महाराष्ट्र में फंसे प्रवासी मजदूरों की स्थिति बयां करती खबर है।

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