Hindi, asked by sumantiwari9454, 1 year ago

samachar patra ki upyogita in hindi essays

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Answered by seju221
6
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समाचार शब्द के अर्थ पर दृष्टि डालने से यह अर्थ स्पष्ट होता है कि समाचार अर्थात् सम आचार। अर्थात् समान आचरण करने वाला। वास्तव में समाचार पत्र समान दृष्टिकोण को अपनाने वाला पत्र होता है। यह किसी के भी प्रति न्यायपूर्ण दृष्टिकोण अपनाता है। इस प्रकार से निष्पक्ष रखने वाला पत्र ही समाचार पत्र है। समाचार पत्र के इतिहास पर जब हम विचार करते हैं, तो पाते हैं कि इसका इतिहास पर जब हम विचार करते हैं, तो पाते हैं कि इसका इतिहास बहुत पुराना है। कुछ लोगों का मानना है कि समाचार पत्र का जन्म सातवीं शताब्दी में चीन में हुआ था, लेकिन इसका रूप पूर्णरूप से विकसित नहीं हो पाया। मुद्रणकला के आविष्कार के बाद सन् 1609 में जर्मनी में सर्वप्रथम समाचार पत्र प्रकाशित होना सिद्ध होता है। जर्मनी के बाद ब्रिटेन में सन् 1662 में समाचार पत्र के प्रकाशन का पता चलता है। भारत में सन् 1835 में ‘इंडिया गजट’ के नाम से समाचार पत्र प्रकाशित हुआ। ज्ञान की प्यास को बुझाने के लिए और शिक्षा के प्रसार प्रचार के लिए समाचार पत्र के प्रकाशन होते रहे। भारत में हिन्दी का सर्वप्रथम समाचार पत्र उदातमार्तण्ड प्रकाशित हुआ। धीरे धीरे यह लोकप्रिय होता ही गया।

समाचार पत्रों के विभिन्न प्रकार दिखाई पड़ते हैं। कुछ समाचार पत्र दैनिक होते हें तो कुछ साप्ताहिक और कुछ पाक्षिक होते हैं। कुछ समाचार पत्र सांध्यकालीन भी होते हैं, दैनिक, पाक्षिक और साप्ताहिक समाचार पत्र कई प्रकार की भाषाओं में प्रकाशित होते हैं। जैसे हिन्दी, अंग्रेजी, बंगाली, पंजाबी, मराठी, तमिल, तेलुगू आदि भाषाओं में। नवभारत टाइम्स, जनसत्ता दैनिक हिन्दुस्तान, अमर उजाला, राजस्थान पत्रिका, दैनिक जागरण, सर्वोदय, आर्यवत्र, पंजाब केसरी आदि हिन्द के लोकप्रिय समाचार पत्र हैं। अंग्रेजी में टाइम्स आफ इण्डिया, हिन्दुस्तान टाइम्स, इंडिया एक्सप्रेस, नेशनल हैरल्ड, स्टेट्समैन आदि पेट्रिएट प्रमुख समाचार पत्र हैं।

समाचार पत्र मानव को जानने की स्वाभाविक इच्छापूर्ति, संसार में होने वाली राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, साहित्यिक और खेल कूद की गतिविधियों आदि की जानकारी देते हैं। आज संसार के देशों में लोकतांत्रिक सरकारें हैं। हर कानून जन भावना को देखते हुए ही बनाए जाते हैं। किसी कानून पर जन भावना क्या है? समाचार पत्र से अच्छा ज्ञान और कोई नहीं दे सकता। समाचार पत्र के माध्यम से ही किसी विधेयक के पक्ष-विपक्ष में विचार जनता से सरकार तक पहुँचते हैं, जैसे 5 मई, 1986 को लोकसभा में ‘मुस्लिम-महिला विधेयक’ पर बहस शुरू है। समाचार पत्रों द्वारा सरकार को पता चला गया है कि जनता की इस विधेयक के सम्बन्ध में क्या राय है? अतः यदि सरकार इस सन्दर्भ में कोई कानून बनाना चाहेगी, तो जनता की भावनाओं को खासतौर पर ध्यान में रखेगी। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के लिए क्या किया है? क्या वह करना चाहते हैं? देश के विभिन्न राज्यों की सरकारें जन साधारण के लिए क्या ठीक गलत कर रही हैं? इन सबकी जानकारी समाचार पत्रों से ही मिलती है।

समाचार पत्रों की उपयोगिता उनकी विविधता से है। समाचार पत्र न केवल किसी एक क्षेत्र विशेष का ही प्रतिनिधित्व करते हैं, अपितु वे प्रत्येक क्षेत्र के साथ साथ प्रत्येक प्रान्त, राष्ट्र के साथ अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के भी होते हैं जिनसे हमें उन स्थानों और क्षेत्रों का पूरा समाचार प्राप्त होता है। समाचार पत्र का उपयोग उनके विविध प्रकार के समाचार देने से है। प्रत्येक समाचार पत्र के जो कुछ भी उदेश्य होते हैं, उनसे हमें केवल ज्ञान-वृद्धि सम्बन्धित समाचार आसानी से प्राप्त हो जाते हैं। कोई समाचार पत्र हमारे राजनीतिक ज्ञान को बढ़ाता है तो कोई समाचार पत्र हमारे साहित्यक और धार्मिक ज्ञान की वृद्धि करता है। इसी प्रकार से किसी समाचार पत्र के द्वारा हमें संगीतकला का ज्ञान प्राप्त होता, तो किसी समाचार पत्र के माध्यम से हमें आर्थिक और आध्यात्मिक ज्ञान भी प्राप्त हो जाता है। यही नहीं समाचार पत्र तो सबके लिए कोई-न-कोई लाभ पहुँचाने वाले होते ही हैं।

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Answered by rakhister80
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समाचार पत्रों की उपयोगिता

मानव - मन आदि काल से जिज्ञासु रहा है । मानव अपने वातावरण के प्रति कभी भी उपेक्षा का भाव न रख सका , क्योंकि वह संवेदनशील प्राणी है । मानव अपने आस - पास की तथा देश - विदेश की जानकारी और संसार में होने वाले परिवर्तनों को जानना चाहता है , क्योंकि वह सामाजिक प्राणी है तथा वह समाज एवं संसार के परिवर्तन से आँखें नहीं मूंद सकता।

संसार के समाचारों को जानने का सबसे सरल एवं सस्ता साधन समाचार - पत्र है । समाचार - पत्र मानव - जीवन की दिनचर्या का अंग बन चुके हैं , क्योंकि इन्हीं से प्रतिदिन की विभिन्न प्रकार की घटनाओं का एक संकलन शुरू होता है ।

समाचार - पत्र अनेक प्रकार से उपयोगी हैं । जनतंत्र में समाचार - पत्रों की उपयोगिता और भी बढ़ जाती है । समाचार - पत्रों के माध्यम से सरकार अपनी नीतियों को जनता तक पहुँचाती है तथा जनता भी अपनी भावनाएँ सरकार तक पहुँचाती है । लोकमत का निर्माण समाचार - पत्रों के माध्यम से ही होता है । राष्ट्रीय नीति - निर्धारण , जनमत - संग्रह तथा देश की राजनैतिक गतिविधियों की स्थिति में समाचार - पत्र का महत्वपूर्ण योगदान होता है । सरकारी कानूनों , नीतियों एवं योजनाओं के गुण - दोषों के प्रति जनभावना का पता भी समाचार - पत्रों के माध्यम से ही चलता है।

समाचार - पत्र मनोरंजन के साधन तो हैं ही , ज्ञान - विज्ञान बढ़ाने के साधन भी हैं । एक समाचार - पत्र में खेल - कूद , राजनैतिक गतिविधियों , बाज़ार - भाव , चलचित्र , विज्ञान , देश - विदेश के सामाचार , संपादकीय तथा शेयर मार्किट के समाचार सम्मिलित रहते हैं।

समाचार - पत्र ज्ञान - विज्ञान तथा मनोरंजन का सस्ता और लोकप्रिय साधन है । इतनी सारी जानकारियाँ इतने थोड़े पैसों में मिलना कठिन है । इसमें समाचार आदि विस्तार से होते हैं । व्यापारी अपने उत्पादन के विज्ञापन देकर अपनी बिक्री को बढ़ाते हैं । इसी तरह नौकरियों , शादी - विवाह , खरीदने - बेचने , टेंडर आदि अनेक प्रकार के विज्ञापनों से कठिन - से - कठिन काम भी सरल हो जाता है । समाचार - पत्रों के माध्यम से कारखाने वालों को कुशल कर्मचारी मिल जाते हैं , तो व्यक्तियों को नौकरियाँ । आधुनिक युग में समाचार - पत्र हमारे दैनिक जीवन और सोचने के दृष्टिकोण पर गहरा प्रभाव डाल रहे हैं ।

समाचार - पत्रों के रविवारीय संस्करणों में कहानियाँ , कविताएँ तथा विविध प्रकार के लेख प्रकाशित होते हैं । साहित्यिक अभिरुचि रखने वाले लोगों के लिए उस दिन का समाचार - पत्र उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है । रविवार के आलोचनात्मक लेख तथा विभिन्न प्रकार की ज्ञानवर्धक सामग्रियाँ भी अत्यंत रुचिकर होती हैं । समाचार - पत्रों में खेलों की जानकारी और समीक्षा भी प्रस्तुत की जाती है । समाचार - पत्रों के माध्यम से जनजागरण तो होता ही है , जनमानस के विचारों में क्रांति भी उत्पन्न होती है ।

भारत में कई दैनिक समाचार - पत्र प्रकाशित होते हैं- नवभारत टाइम्स , जनसत्ता , दैनिक जागरण , हिंदुस्तान , पंजाब केसरी , अमर उजाला आदि हिंदी के तथा टाइम्स ऑफ़ इंडिया , हिंदुस्तान टाइम्स , ट्रिब्यून , स्टेट्समैन आदि अंग्रेज़ी के समाचार - पत्र हैं । इनके अतिरिक्त इंडिया टुडे , आलटलुक जैसी कई साप्ताहिक - पत्रिकाएँ भी प्रकाशित हो रही हैं । इनके अलावा चंदा मामा , चकमक , नंदन , चंपक , बाल हंस , कादंबिनी , सरिता , रीडर्स डाइजेस्ट , इलस्ट्रेटिड वीकली ऑफ़ इंडिया जैसी अनेक पत्रिकाएँ भी निकलती हैं ।

इस प्रकार यह स्पष्ट है कि समाचार - पत्र ज्ञान - विज्ञान , मनोरंजन , शिक्षा एवं जनसंपर्क के उचित माध्यम और प्रजातंत्र की सफलता के आधार हैं ।

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