samacharo Ka badalta swaroop
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समाचारों का बदलता स्वरूप (अनुच्छेद)
आज के समय में समाचार अपना स्वरूप पूरी तरह बदल चुके हैं। अब समाचारों में सनसनी अधिक पैदा हो गई है। टीवी पर जब हम समाचार देखने हैं तो उसमें नाटकीय अंदाज में चीख-चिल्लाकर सनसनीखेज ढंग से समाचार प्रस्तुत किए जाते हैं। आज से कुछ वर्षों पूर्व के टीवी समाचारों को देखें तो बेहद शालीनता से और शांत स्वर में समाचार प्रस्तुत किए जाते थे। तब ऐसा लगता था कि हम समाचार ही सुन रहे हैं। जबकि आज ऐसा लगता है, समाचार नहीं बल्कि कोई नाटकीय कहानी सुन रहे हों।
पहले समाचार में केवल समाचार दिए जाते थे, यानि ये सूचना देने का माध्यम था। आजकल के समाचारों के साथ अपना ऐजेंडा प्रस्तुत किया जाता है। जिससे समाचार प्रभावित होते हैं। समाचार एक सूचना है, और पत्रकार का कर्तव्य है कि उसे ज्यों का त्यों दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत करे। लेकिन ऐसा होना नही चाहिए, लेकिन अब ऐसा नहीं होता। अब समाचार प्रस्तुत करने वाला समाचार वाचक नहीं न्यूज़ एंकर बन चुका है, जिसको ऐसे सनसनीखेज और नाटकीय अंदाज में समाचार प्रस्तुत करने का दायित्व होता है कि वह लोग अधिक से अधिक उस चैनल से जुड़ें।
आज टीआरपी की इस अंधी दौड़ में समाचारों का स्वरूप पूरी तरह बिगड़ चुका है। अब समाचार समाचार ना होकर टीआरपी अर्जित करने का माध्यम बनकर रह गए हैं।
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