समग्र शिक्षा अभियान क्या है?
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माध्यमिक शिक्षा को एकीकृत 'समग्र शिक्षा अभियान' इसी सत्र से
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जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : नए सत्र से पहली कक्षा से लेकर 12वीं तक शिक्षा व्यवस्था की गतिविधियों का संचालन अब नई व्यवस्था के अधीन होगा। सत्र 2018-19 से शुरू होने जा रही इस नई व्यवस्था का नाम है समग्र शिक्षा अभियान। सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए), शिक्षक प्रशिक्षण डायट केंद्रों का विलय कर उसका एकीकरण किया जा रहा है। इन तीनों के एकीकरण के बाद अब स्कूल में पहली से कक्षा 12वीं तक के लिए नई शिक्षा योजना 'समग्र शिक्षा अभियान' यानी एसएसए के माध्यम से विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जाएगा।
नीति आयोग के निर्देश पर केंद्रीय मानव संसाधन विभाग ने यह निर्णय लिया है। समग्र शिक्षा अभियान ही सरकारी स्कूलों के 12वीं तक के विद्यार्थियों, स्कूलों आधारभूत संरचना समेत सभी गतिविधियों को नियंत्रित करेगा। बजट भी समग्र शिक्षा अभियान के तहत तैयार किया जाएगा। सर्व शिक्षा अभियान एवं राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के क्रियान्वयन के लिए जिलास्तर पर अलग-अलग परियोजना अधिकारी मौजूदा समय में कार्य कर रहे हैं। नई योजना में मुख्य शिक्षा अधिकारी एकीकृत योजना से संबंधित कार्यो का निष्पादन करेंगे। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने जिला स्तर पर सभी अभिलेखों का अध्ययन करने और वार्षिक कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया है। इसका बजट दो साल के लिए एक ही बार बनेगा।
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जिलास्तर पर तैयार होगा बजट
पहली से आठवीं और नौवीं से 12वीं तक की शिक्षा और शिक्षक प्रशिक्षण के लिए अलग-अलग बजट नहीं होगा। जिला स्तर पर बजट तैयार करने के लिए केंद्रीय मानव संसाधन विभाग ने जिलों को 10 मई तक का समय दिया है। राज्य को बजट तैयार कर 15 मई तक केंद्रीय मानव संसाधन विभाग को भेज देना है।
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यह होगा मुख्य कार्य दायित्व
- नए स्कूलों की स्थापना और पुराने का अपग्रेडेशन।
- नए उच्च प्राथमिक स्कूलों को दस लाख रुपये प्रति स्कूल और नए माध्यमिक स्कूल के लिए प्रति स्कूल 25 लाख रुपये आवंटन
- नए उच्चतर माध्यमिक स्कूल में एक संकाय के लिए 50 लाख, दो के लिए 55 और तीन संकाय के लिए 70 लाख रुपये का आवंटन।
- प्रत्येक अतिरिक्त संकाय के लिए प्रतिवर्ष 15 लाख रुपये का अनुदान।
- कम आबादी, पहाड़ी क्षेत्र और घने जंगली इलाके व अन्य दुर्गम क्षेत्र में प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूल खोलना।
- सुदूर क्षेत्र एवं विरल आबादी वाले इलाकों में परिवहन की व्यवस्था।
- पहली से 12वीं कक्षा तक बच्चों का मूल्याकन एनसीईआरटी के आधार पर होगा। इस मद में जिले की क्षमता पर दस से 20 लाख रुपये मिलेंगे।
- गणित और विज्ञान के प्रोत्साहन के लिए कक्षा छठी से 12वीं में राष्ट्रीय आविष्कार अभियान।
- गुणवत्ता में सुधार और शिक्षा के उपयोग के लिए इनोवेशन का बढ़ावा।
- प्री-नर्सरी स्कूल के लिए दो लाख रुपये तक का अनुदान।
- कस्तूरबा गाधी बालिका विद्यालयों को छठी से आठवीं तक 60 लाख, छठी से दसवीं तक 80 लाख और छठी से 12वीं तक एक करोड़ का वार्षिक अनुदान।
- छठी से 12वीं तक की छात्राओं के लिए तीन माह का सेल्फ डिफेंस कार्यक्रम।
- विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए 3000 रुपये प्रति छात्र प्रतिवर्ष का प्रावधान।
- खेल और शारीरिक शिक्षा के तहत प्राथमिक के लिए 5000, मध्य विद्यालय दस हजार और माध्यमिक विद्यालय के लिए 25 हजार का प्रावधान।
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