Hindi, asked by mukhtarazam2, 1 day ago

समग्र शिक्षा योजना का मुख्य बल दो टी पर केंद्रित करके स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने पर है, एक शिक्षक है और दूसरा है प्रौद्योगिकी संक्रमण हस्तांतरण शिक्षण​

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Answered by anshbagul79
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पृष्ठभूमि

केंद्रीय बजट, 2018-19 में घोषणा की गई थी कि स्कूली शिक्षा को पूर्व-प्राथमिक से बारहवीं कक्षा तक समग्र रूप से और बिना विभाजन के माना जाएगा। इस संदर्भ में, विभाग ने सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए),म(आरएमएसए) और शिक्षक शिक्षा (टीई) की पूर्ववर्ती केंद्र प्रायोजित योजनाओं को मिलाकर 2018 में स्कूली शिक्षा के लिए एकीकृत योजना, समग्र शिक्षा शुरू की। यह योजना स्कूली शिक्षा को एक निरंतरता मानती है, जो शिक्षा के लिए सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी-4) के अनुसार है। यह योजना न केवल शिक्षा के अधिकार (आरटीई)अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए सहायता प्रदान करती है, बल्कि इसको यह सुनिश्चित करने के लिए भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सिफारिशों के साथजोड़ा गया है कि सभी बच्चों की एक समान और समावेशी कक्षा के माहौल के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच हो और जिसमें उनकी विविध पृष्ठभूमि, बहुभाषी आवश्यकताओं, विभिन्न शैक्षणिक योग्यताओं का भी ध्यान रखा गया हो और जो उन्हें सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार भी बनाएं।

लाभ

इस योजना में 11 लाख 60 हजार विद्यालय, 15 करोड़60लाख से अधिक छात्र और सरकार एवं सरकार से सहायता प्राप्त विद्यालयों के 57 लाख शिक्षक ((पूर्व-प्राथमिक से वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक) शामिल हैं।

विवरण

समग्र शिक्षा योजना स्कूली शिक्षा के लिए एक एकीकृत योजना है, जिसमें पूर्व-विद्यालय से लेकर बारहवीं कक्षा तक के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। यह योजना स्कूली शिक्षा को एक निरंतरता मानती है और यह शिक्षा के लिए सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी -4) के अनुसार है। यह योजना न केवल शिक्षा के अधिकार (आरटीई)अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए सहायता प्रदान करती है, बल्कि इसको यह सुनिश्चित करने के लिए भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सिफारिशों के साथजोड़ा गया है कि सभी बच्चों की एक समान और समावेशी कक्षा के माहौल के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच हो और जिसमें उनकी विविध पृष्ठभूमि, बहुभाषी आवश्यकताओं, विभिन्न शैक्षणिक योग्यताओं का भी ध्यान रखा गया हो और जो उन्हें सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार भी बनाएं।

इस योजना के तहत प्रस्तावित स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर प्रमुख हस्तक्षेप इस प्रकार हैं:

(i) बुनियादी ढांचे के विकास और प्रतिधारण सहित सार्वभौमिक पहुंच;

(ii) मूलभूत साक्षरता और संख्याज्ञान,

(iii) लिंग और समानता;

(iv) समावेशी शिक्षा;

(v) गुणवत्ता और नवाचार;

(vi) शिक्षक वेतन के लिए वित्तीय सहायता;

(vii) डिजिटल पहल;

(viii) वर्दी, पाठ्यपुस्तक आदि सहित शिक्षा के अधिकार (आरटीई) की पात्रता;

(ix) 'प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा' (ईसीसीई) के लिए सहायता;

(x) व्यावसायिक शिक्षा;

(xi) खेल और शारीरिक शिक्षा;

(xii) शिक्षक शिक्षा और प्रशिक्षण का सुदृढ़ीकरण;

(xiii) निगरानी;

(xiv) कार्यक्रम प्रबंधन; और

(xv) राष्ट्रीय घटक।

*मुख्य प्रभाव*

इस योजना का उद्देश्य स्कूली शिक्षा की समान पहुंच; वंचित और कमजोर वर्गों के समावेशन के माध्यम से समानता को प्रोत्साहन, और स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है। योजना के प्रमुख उद्देश्यों में राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को निम्नलिखित में सहयोग प्रदान करना है :

(i) राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) की सिफारिशों को लागू करना;

(ii) बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 को लागू करना;

(iii) प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा;

(iv) मूलभूत साक्षरता और संख्याज्ञान पर जोर;

(v) विद्यार्थियों को 21वीं सदी के कौशल प्रदान करने के लिए समग्र, एकीकृत, समावेशी और गतिविधि आधारित पाठ्यक्रम व अध्यापन पर जोर;

(vi) गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का प्रावधान और विद्यार्थियों के लिए शिक्षा परिणाम में वृद्धि;

(vii) स्कूली शिक्षा में सामाजिक और लैंगिक अंतर को दूर करना;

(viii) स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर समानता और समावेशन सुनिश्चित करना;

(ix) शिक्षक प्रशिक्षण के लिए नोडल एजेंसी के रूप में स्टेट काउंसिल्स फॉर एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी)/स्टेट इंस्टीट्यूट्स ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (डाइट) को मजबूत बनाना और सुधार;

(x) शिक्षा के लिए सुरक्षित और अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करना व स्कूलिंग प्रावधानों में मानदंडों का रखरखाव और

(xi) व्यावसायिक शिक्षा को प्रोत्साहन देना।

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