Samaj ke Sukh Dukh ke jodne ke liye kis Prakar ke vyaktitva Ka Hona zaroori hai
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समाज के सुख दुःख के से जुड़ने के लिए मनुष्य का व्यक्तित्व आन्तरिक होना जरुरी है ।आन्तरिक व्यक्तित्व ही वास्तव में व्यक्ति का वास्तविक व्यक्तित्व होता है, क्योंकि उसी की परछाई बाह्य व्यक्तित्व में झलकती है। इसी आधार पर व्यक्ति स्वस्थ, सुन्दर, सेवा, सहकारिता, आत्मविश्वास सम्पन्न, परोपकारी, उच्च आदर्श से सम्पन्न यो इसके विपरीत होता है।
नोट - क्तित्व निर्माण आपकी मर्जी पर निर्भर करता है। व्यक्ति का व्यक्तित्व ही है, जिससे लोग इस जीवन में ही नहीं बल्कि जीवन के बाद भी हमेशा स्मरण करते हैं। बिना व्यक्तित्व के व्यक्ति खोखला है।
समाज के सुख दुःख के जोड़ने के लिए किस प्रकार के व्यक्तित्व सकारात्मक मनोवृत्ति
का होना ज़रूरी है.
आपका व्यक्तित्व निर्माण आपकी मर्जी पर निर्भर करता है कि आप क्या चाहते हैं। समग्र व्यक्तित्व निर्माण हेतु आन्तरिक उत्थान एवं उत्कर्ष के चार आधार हैं, चार सूत्र हैं जिन पर हमारी आत्मिक उन्नति टिकी हुई है- साधना, स्वाध्याय, संयम, सेवा। इनमें से एक भी ऐसा नही हैं जिसे आत्मोत्कर्ष के लिए छोड़ा जा सके। ये चारों आपस में घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं।
चार तरह के संयम द्वारा हम शारीरिक, मानसिक व आत्मिक रूप से शक्तिशाली बन सकते हैं.